Account
Categories
Shubham
शुभम
सत्य से बड़ा तो ईश्‍वर भी नहीं

पाञ्चजन्य शंख का नाम पाञ्चजन्य क्यों रखा गया?

पाञ्चजन्य शंख का नाम पाञ्चजन्य इसलिए रखा गया क्योंकि यह शंख पाँच प्रमुख तत्वों का प्रतीक है, और इसके साथ जुड़ी हुई एक पौराणिक कथा भी है, जो इसके नामकरण की व्याख्या करती है।

पाञ्चजन्य शंख का नाम पाँच प्रमुख तत्वों (पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश) से जुड़ा हुआ है, और इस शंख की उत्पत्ति समुद्र मंथन से हुई थी, जो इसे एक दिव्य और शक्ति का प्रतीक बनाता है। भगवान श्री कृष्ण के हाथों में यह शंख धर्म, विजय और शांति का प्रतीक बन चुका है।

पाञ्चजन्य शंख का नामकरण:


1. पाँच तत्वों का प्रतीक:
- पाञ्चजन्य शंख का नाम पाँच तत्वों (पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु, और आकाश) से जुड़ा हुआ है। इन पाँचों तत्वों के माध्यम से समग्र ब्रह्मांड की रचना होती है, और यह शंख ब्रह्मांड के इन तत्वों का प्रतीक है। यह शंख विश्व की संपूर्णता और संतुलन का प्रतीक भी माना जाता है।

2. पौराणिक कथा (शंख के उत्पत्ति की कथा):
- पाञ्चजन्य शंख की उत्पत्ति एक प्रसिद्ध पौराणिक कथा से जुड़ी हुई है। कथा के अनुसार, पाञ्चजन्य शंख का जन्म समुद्र मंथन से हुआ था। समुद्र मंथन के दौरान पाँच प्रकार के रत्नों का उत्पत्ति हुई थी, और इनमें से एक रत्न था पाञ्चजन्य शंख।
- इस शंख का नाम पाञ्चजन्य इस कारण रखा गया क्योंकि यह शंख समुद्र मंथन से उत्पन्न हुआ था और उसे पाँच अलग-अलग रूपों में देखा गया था: समुद्र (जल), आकाश, पृथ्वी, वायु, और अग्नि, जो ब्रह्मांड के पांचों तत्वों का प्रतीक हैं।

3. कृष्ण की कथा:
- पाञ्चजन्य शंख का विशेष संबंध भगवान श्री कृष्ण से है। भगवान कृष्ण ने पाञ्चजन्य शंख का प्रयोग युद्ध में महाभारत के समय किया था। इसे शंख के रूप में शेर और अन्य विशेषताओं के साथ प्रस्तुत किया गया था। यह शंख भगवान कृष्ण के साथ जुड़ा हुआ है और उनके बल, पराक्रम और दिव्यता का प्रतीक बन चुका है।
- भगवान श्री कृष्ण ने इस शंख का प्रयोग ध्वनि और उत्तेजना को प्रेरित करने के लिए किया था, जिससे उनके शत्रु डर जाते थे।

4. नदी में शंख का प्रतीक:
- यह शंख भी नदी और समुद्र के मिलन की याद दिलाता है, जो जीवनदायिनी है। यह ब्रह्मांडीय शक्तियों का और मानवता की रक्षा करने की क्षमता का प्रतीक है।
पञ्चाङ्ग कैलेण्डर 02 Dec 2024 (उज्जैन)

आज का पञ्चाङ्ग

दिनांक: 2024-12-02
मास: मार्गशीर्ष
दिन: सोमवार
पक्ष: शुक्ल पक्ष
तिथि: प्रतिपदा तिथि 12:43 PM तक उपरांत द्वितीया
नक्षत्र: नक्षत्र ज्येष्ठा 03:45 PM तक उपरांत मूल
शुभ मुहूर्त: अभिजीत मुहूर्त - 11:49 AM – 12:31 PM
राहु काल: 8:19 AM – 9:36 AM
यमघंट: 10:53 AM – 12:10 PM
शक संवत: 1946, क्रोधी
विक्रम संवत: 2081, पिंगल
दिशाशूल: पूरब
आज का व्रत त्यौहार: इष्टि