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सत्य से बड़ा तो ईश्‍वर भी नहीं

सनातन धर्म में वैशेषिक दर्शन क्या है?

वैशेषिक दर्शन सनातन धर्म के छह प्रमुख दर्शनों (षड्दर्शन) में से एक है, जिसे महर्षि कणाद ने स्थापित किया। इस दर्शन का मुख्य उद्देश्य जगत के तत्वों का विश्लेषण करना और उनके स्वभाव को समझना है। वैशेषिक दर्शन को "पदार्थ विज्ञान" या "वस्तुओं के गुण और स्वभाव" का शास्त्र कहा जाता है।

वैशेषिक दर्शन सृष्टि के तत्वों का वैज्ञानिक और तर्कसंगत अध्ययन प्रस्तुत करता है। यह दर्शन आत्मा, पदार्थ, और परमाणु के बीच के संबंध को समझने का प्रयास करता है। वैशेषिक दर्शन का मुख्य उद्देश्य सही ज्ञान के माध्यम से अज्ञान को दूर करना और आत्मा को मोक्ष की ओर ले जाना है। यह दर्शन न केवल आध्यात्मिक, बल्कि वैज्ञानिक दृष्टिकोण को भी बढ़ावा देता है।

वैशेषिक दर्शन का नाम और अर्थ


- "वैशेषिक" शब्द विशेष से बना है, जिसका अर्थ है "भेद" या "अंतर।"
- यह दर्शन पदार्थों (द्रव्यों) के गुण, क्रिया, और उनके विशेषताओं का विश्लेषण करता है।
- इसका लक्ष्य तत्वों के स्वभाव को समझकर मोक्ष प्राप्त करना है।

वैशेषिक दर्शन के प्रवर्तक


- वैशेषिक दर्शन के संस्थापक महर्षि कणाद हैं।
- उन्होंने "वैशेषिक सूत्र" नामक ग्रंथ की रचना की।
- महर्षि कणाद ने इस दर्शन में सृष्टि के मूलभूत तत्वों का वैज्ञानिक विश्लेषण प्रस्तुत किया।

वैशेषिक दर्शन का मुख्य उद्देश्य


1. पदार्थों का विश्लेषण:
- इस दर्शन में सृष्टि को विभिन्न पदार्थों में विभाजित किया गया है।
2. तत्वों का ज्ञान:
- सृष्टि के घटक तत्वों का स्वभाव, गुण और कारण का अध्ययन।
3. मोक्ष प्राप्ति:
- सही ज्ञान के माध्यम से जन्म-मृत्यु के चक्र से मुक्ति।

वैशेषिक दर्शन के सिद्धांत


1. सप्त पदार्थ (सृष्टि के घटक):
वैशेषिक दर्शन में सृष्टि को सात पदार्थों में विभाजित किया गया है:
द्रव्य: वह जो गुण और क्रिया का आधार हो, जैसे पृथ्वी, जल, वायु।
गुण: द्रव्य के स्वाभाविक लक्षण, जैसे रंग, रूप, गंध।
कर्म: द्रव्य में गति या क्रिया।
सामान्य: पदार्थों में सामान्यता, जैसे मनुष्य का मानव होना।
विशेष: प्रत्येक वस्तु की विशिष्ट पहचान।
संबंध: वस्तुओं के बीच संबंध, जैसे कारण और परिणाम।
अभाव: किसी वस्तु की अनुपस्थिति।

2. द्रव्यों का वर्गीकरण:
वैशेषिक दर्शन में 9 प्रकार के द्रव्यों का उल्लेख है:
पृथ्वी: गंध का आधार।
जल: स्वाद का आधार।
अग्नि: रूप या प्रकाश का आधार।
वायु: स्पर्श का आधार।
आकाश: ध्वनि का आधार।
काल: समय का आधार।
दिशा: स्थान का आधार।
आत्मा: चेतना का आधार।
मन: विचार और संकल्प का आधार।

3. परमाणुवाद:
- वैशेषिक दर्शन के अनुसार, सृष्टि का निर्माण परमाणुओं से हुआ है।
- परमाणु (अणु) सबसे छोटा अविभाज्य कण है, जो सृष्टि का मूलभूत घटक है।

4. कारण और कार्य का सिद्धांत:
- इस दर्शन में माना गया है कि हर कार्य का एक कारण होता है।
- कार्य और कारण के बीच संबंध को "सत्व" कहा जाता है।

5. आत्मा और मोक्ष:
- आत्मा शाश्वत और अमर है।
- सही ज्ञान और कर्म के माध्यम से आत्मा को मोक्ष प्राप्त होता है।

वैशेषिक दर्शन और ईश्वर


- प्रारंभिक वैशेषिक दर्शन में ईश्वर का प्रत्यक्ष उल्लेख नहीं है।
- बाद में, ईश्वर को सृष्टि का कारण और नियंता माना गया।
- ईश्वर को कर्मों के फल का दाता और जगत का रक्षक माना गया है।

वैशेषिक दर्शन का उद्देश्य और लाभ


1. सत्य का ज्ञान:
- पदार्थों के विश्लेषण के माध्यम से सत्य का बोध।

2. वैज्ञानिक दृष्टिकोण:
- इस दर्शन में सृष्टि को तर्क और विश्लेषण के आधार पर समझा गया है।

3. आध्यात्मिक विकास:
- आत्मा और पदार्थों के संबंध को समझकर मोक्ष प्राप्ति का मार्ग।

4. तर्क और प्रमाण:
- यह दर्शन तर्क और प्रमाण के माध्यम से सृष्टि के रहस्यों को समझाता है।

वैशेषिक दर्शन का अन्य दर्शनों से संबंध


1. न्याय दर्शन:
- न्याय और वैशेषिक दर्शन एक-दूसरे के पूरक हैं।
- न्याय दर्शन प्रमाण और तर्क पर आधारित है, जबकि वैशेषिक दर्शन पदार्थों का विश्लेषण करता है।

2. सांख्य दर्शन:
- वैशेषिक दर्शन परमाणु और पदार्थों का विश्लेषण करता है, जबकि सांख्य दर्शन प्रकृति और पुरुष पर आधारित है।

3. वेदांत दर्शन:
- वेदांत और वैशेषिक का उद्देश्य मोक्ष है, लेकिन वे इसे अलग दृष्टिकोण से प्राप्त करते हैं।
पञ्चाङ्ग कैलेण्डर 02 Dec 2024 (उज्जैन)

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