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देव दिवाली के दिन गंगा नदी में दीपदान करने का क्या महत्व है?

देव दिवाली के दिन गंगा नदी में दीपदान करना विशेष रूप से महत्वपूर्ण माना जाता है, क्योंकि यह दिन भगवान शिव की विजय और गंगा नदी के पृथ्वी पर अवतरण का प्रतीक है। गंगा में दीपदान का धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व गहरा है। यह परंपरा विशेष रूप से वाराणसी (बनारस) और अन्य गंगा तटों पर धूमधाम से मनाई जाती है। आइए जानें गंगा में दीपदान करने का क्या महत्व है:

देव दिवाली के दिन गंगा नदी में दीपदान करना न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह आत्मिक शुद्धि, पुण्य का संचय, मोक्ष की प्राप्ति, और गंगा तथा भगवान शिव के प्रति श्रद्धा का प्रतीक भी है। यह परंपरा भक्तों को अंधकार से प्रकाश की ओर मार्गदर्शन करती है और देवताओं से आशीर्वाद प्राप्त करने का एक माध्यम है। गंगा में दीप जलाकर लोग अपने जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और शांति का अनुभव करते हैं, साथ ही अपने परिवार और समाज की सुख-शांति की कामना करते हैं।

1. आत्मिक शुद्धि और पापों का नाश


- गंगा नदी को हिन्दू धर्म में पवित्र और आध्यात्मिक शुद्धि का प्रतीक माना जाता है।
- गंगा में दीपदान करने से यह माना जाता है कि व्यक्ति के पाप नष्ट होते हैं और उसे आध्यात्मिक शांति प्राप्त होती है।
- विशेष रूप से देव दिवाली के दिन गंगा में दीपदान से यह विश्वास होता है कि गंगा के पवित्र जल में दीप की लौ से व्यक्ति का आत्मिक शुद्धिकरण होता है।

2. भगवान शिव और गंगा का सम्मान


- देव दिवाली का दिन भगवान शिव और गंगा माँ से जुड़ा हुआ है।
- गंगा को भगवान शिव के सिर से पृथ्वी पर लाने की पौराणिक कथा के अनुसार, गंगा शिव की प्रेमिका और आशीर्वाद का प्रतीक मानी जाती है।
- इस दिन गंगा में दीप जलाकर भक्त भगवान शिव और गंगा माँ की महिमा का सम्मान करते हैं और उनसे आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।
- दीप जलाने से वातावरण में आध्यात्मिक ऊर्जा उत्पन्न होती है, जो भक्तों को शांति और सुख देती है।

3. अंधकार से प्रकाश की ओर मार्गदर्शन


- दीप का प्रकाश अंधकार से प्रकाश की ओर मार्गदर्शन का प्रतीक है।
- दीपदान करने से यह संकेत मिलता है कि हम अपने जीवन में सकारात्मकता और धर्म के मार्ग पर चलने का प्रयास करते हैं।
- गंगा में दीप जलाकर भक्त अंधकार से मुक्ति और आत्मिक ज्ञान की प्राप्ति की कामना करते हैं। यह ध्यान और धार्मिक समर्पण का प्रतीक भी है।

4. देवताओं को आभार और श्रद्धा व्यक्त करना


- देव दिवाली के दिन, जब देवता पृथ्वी पर आकर अपनी उपस्थिति दर्ज करते हैं, तब दीपदान उन्हें श्रद्धा और आभार व्यक्त करने का एक तरीका है।
- यह विश्वास है कि देवता इस दिन विशेष रूप से गंगा तट पर आकर अपनी कृपा बरसाते हैं, और भक्त दीप जलाकर उनसे आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।

5. मोक्ष की प्राप्ति और पुण्य का संचय


- गंगा नदी में दीपदान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है, और यह मोक्ष की दिशा में एक कदम आगे बढ़ने का संकेत है।
- गंगा में स्नान और दीप जलाने से व्यक्ति के पाप समाप्त होते हैं और उसे पुण्य प्राप्त होता है।
- गंगा में दीप जलाने से यह माना जाता है कि यह मोक्ष और आत्मा की मुक्ति का मार्ग खोलता है।

6. पारिवारिक सुख और समृद्धि की कामना


- गंगा में दीप जलाने से न केवल व्यक्तिगत शुद्धि और मोक्ष की कामना होती है, बल्कि भक्त अपने पारिवारिक सुख और समृद्धि के लिए भी प्रार्थना करते हैं।
- यह दीप भगवान शिव, गंगा माँ, और अन्य देवताओं को समर्पित होता है, और उनसे पारिवारिक और सामूहिक कल्याण की शुभकामनाएँ दी जाती हैं।

7. एकजुटता और सामूहिक भक्ति


- गंगा में दीपदान करने से सामूहिक भक्ति और एकता का संदेश मिलता है।
- वाराणसी जैसे धार्मिक स्थानों पर, जहाँ हजारों लोग एक साथ गंगा में दीप जलाते हैं, यह दृश्य एकजुटता और समाज में आध्यात्मिक सहयोग का प्रतीक बनता है।
- यह एक पर्व होता है, जो भक्ति, समर्पण, और सकारात्मकता के साथ पूरे समाज को एकजुट करता है।
पञ्चाङ्ग कैलेण्डर 02 Dec 2024 (उज्जैन)

आज का पञ्चाङ्ग

दिनांक: 2024-12-02
मास: मार्गशीर्ष
दिन: सोमवार
पक्ष: शुक्ल पक्ष
तिथि: प्रतिपदा तिथि 12:43 PM तक उपरांत द्वितीया
नक्षत्र: नक्षत्र ज्येष्ठा 03:45 PM तक उपरांत मूल
शुभ मुहूर्त: अभिजीत मुहूर्त - 11:49 AM – 12:31 PM
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शक संवत: 1946, क्रोधी
विक्रम संवत: 2081, पिंगल
दिशाशूल: पूरब
आज का व्रत त्यौहार: इष्टि