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पाञ्चजन्य शंख से जुड़े किसी मंदिर या धार्मिक स्थल का विवरण दीजिए।

पाञ्चजन्य शंख से जुड़ा एक प्रमुख धार्मिक स्थल गोवर्धन (उत्तर प्रदेश) स्थित मथुरा है, जो भगवान श्री कृष्ण से संबंधित एक महत्वपूर्ण स्थान है। मथुरा और उसके आसपास के क्षेत्र में पाञ्चजन्य शंख के संदर्भ में कई पौराणिक कथाएँ और मंदिरों का उल्लेख मिलता है।

पाञ्चजन्य शंख से जुड़ी प्रमुख धार्मिक स्थलों में गोवर्धन पर्वत और द्वारका जैसे स्थान प्रमुख हैं, जो भगवान श्री कृष्ण से जुड़ी पौराणिक घटनाओं और पूजा परंपराओं का हिस्सा हैं। इन स्थानों पर पाञ्चजन्य शंख के धार्मिक और प्रतीकात्मक महत्व का अनुभव किया जाता है।

1. गोवर्धन पर्वत और मथुरा (पाञ्चजन्य शंख का धार्मिक संबंध):


- मथुरा में भगवान श्री कृष्ण के जन्मस्थान के पास गोवर्धन पर्वत स्थित है, जहाँ भगवान श्री कृष्ण ने अपनी छोटी अंगुली पर गोवर्धन पर्वत उठाया था और गोकुलवासियों को इन्द्रदेव की मूसलधार बारिश से बचाया था। यह घटना महाभारत और भागवतमहापुराण में वर्णित है, और इसे भगवान श्री कृष्ण के अद्भुत शौर्य और धर्म की विजय के प्रतीक के रूप में पूजा जाता है।
- पाञ्चजन्य शंख का शंखनाद धर्म की विजय और न्याय की स्थापना का प्रतीक माना जाता है, और इस शंख का गूंजना भगवान श्री कृष्ण के धार्मिक दृष्टिकोण को व्यक्त करता है। पाञ्चजन्य शंख के बारे में मान्यता है कि इसे गोवर्धन पर्वत के समय श्री कृष्ण ने बजाया था, जब उन्होंने इन्द्रदेव को परास्त किया।

2. कांची कावेरी के पास स्थित मंदिर (तमिलनाडु):


- एक और स्थान है कांची कावेरी (तमिलनाडु), जहाँ पर एक प्रमुख मंदिर है जो भगवान श्री कृष्ण और पाञ्चजन्य शंख से जुड़ा हुआ है। इस मंदिर में भगवान श्री कृष्ण की मूर्ति के साथ पाञ्चजन्य शंख को प्रतिष्ठित किया गया है, और वहाँ के लोग शंख का शंखनाद करके धार्मिक शक्ति का अनुभव करते हैं।

3. श्री कृष्ण मंदिर, द्वारका:


- द्वारका (गुजरात) भी एक प्रमुख धार्मिक स्थल है, जहाँ भगवान श्री कृष्ण का वास था। यहाँ पर स्थित द्वारकाधीश मंदिर में भगवान श्री कृष्ण की मूर्ति के पास पाञ्चजन्य शंख के दर्शन होते हैं। द्वारका का धार्मिक महत्व इसलिए भी बढ़ जाता है, क्योंकि यह वह स्थान है, जहाँ भगवान श्री कृष्ण ने पाञ्चजन्य शंख का उपयोग किया था।

4. पाञ्चजन्य शंख का उपयोग और पूजा:


- कई मंदिरों में विशेष रूप से पाञ्चजन्य शंख की पूजा की जाती है। पाञ्चजन्य शंख को धार्मिक शांति, शक्ति, और धर्म की विजय का प्रतीक माना जाता है। शंख का शंखनाद करने से वातावरण शुद्ध होता है और भक्तों को आशीर्वाद की प्राप्ति होती है।
पञ्चाङ्ग कैलेण्डर 03 Dec 2024 (उज्जैन)

आज का पञ्चाङ्ग

दिनांक: 2024-12-03
मास: मार्गशीर्ष
दिन: मंगलवार
पक्ष: शुक्ल पक्ष
तिथि: द्वितीया तिथि 01:09 PM तक उपरांत तृतीया
नक्षत्र: नक्षत्र मूल 04:41 PM तक उपरांत पूर्वाषाढ़ा
शुभ मुहूर्त: अभिजीत मुहूर्त - 11:50 AM – 12:31 PM
राहु काल: 2:45 PM – 4:02 PM
यमघंट: 9:36 AM – 10:53 AM
शक संवत: 1946, क्रोधी
विक्रम संवत: 2081, पिंगल
दिशाशूल: उत्तर
आज का व्रत त्यौहार: