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देव दिवाली के दिन शाम के समय घाटों पर कैसे कार्यक्रम होते हैं?
देव दिवाली के दिन शाम के समय घाटों पर विशेष धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रम होते हैं, जो इस दिन के महत्व को और भी बढ़ा देते हैं। वाराणसी (बनारस) जैसे प्रमुख तीर्थ स्थलों पर यह पर्व अत्यधिक धूमधाम से मनाया जाता है, और घाटों पर एक अद्वितीय रौनक होती है। यहाँ पर आयोजित होने वाले कुछ प्रमुख कार्यक्रमों के बारे में जानकारी दी जा रही है:
देव दिवाली के दिन शाम के समय घाटों पर मुख्य रूप से दीपदान, गंगा आरती, शिव पूजा, नौका विहार, और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। यह दिन आध्यात्मिकता, धार्मिकता, और सांस्कृतिक एकता का प्रतीक होता है, जहां लाखों श्रद्धालु भगवान शिव और गंगा माता की पूजा में शामिल होते हैं।
- दीपदान देव दिवाली का मुख्य आकर्षण होता है। इस दिन विशेष रूप से गंगा नदी के घाटों पर लाखों दीप जलाए जाते हैं। भक्तगण गंगा में स्नान करने के बाद, दीपक लेकर नदी के किनारे या नावों में रखकर उन्हें पानी में प्रवाहित करते हैं।
- यह दृश्य बेहद भव्य होता है, जब अंधेरे में दीपों की झिलमिलाती रौशनी पूरे घाट को आलोकित कर देती है। दीपों के जलने से वातावरण में एक दिव्य और शांति का अनुभव होता है। यह दृश्य विशेष रूप से गंगा आरती के दौरान देखा जाता है।
- देव दिवाली के दिन गंगा आरती का आयोजन शाम के समय विशेष रूप से किया जाता है। वाराणसी के दशाश्वमेध घाट पर यह आरती विशेष रूप से भव्य होती है, जिसमें बड़ी संख्या में लोग शामिल होते हैं।
- आरती के समय दीपों से जलती हुई शमशान की लौ, मंत्रोच्चारण और संगीत का समन्वय होता है, जो एक अद्भुत वातावरण उत्पन्न करता है। यह आरती श्रद्धा और भक्ति का महत्वपूर्ण प्रतीक मानी जाती है, और इसमें भक्तगण गंगा नदी को पवित्र मानकर अर्चना करते हैं।
- देव दिवाली के दिन विशेष रूप से भगवान शिव की पूजा की जाती है। घाटों पर शिवलिंग पर जल, दूध, और फूल चढ़ाकर पूजा की जाती है। साथ ही महाशिवरात्रि के जैसे मंत्रों का जाप और तंत्र-मंत्र के द्वारा शिव की महिमा का गान किया जाता है।
- इस पूजा में भगवान शिव के आशीर्वाद के लिए मंत्र जाप और अर्चन की जाती है। यह पूजा विशेष रूप से भक्तों के जीवन में सुख, शांति और समृद्धि की कामना करती है।
- देव दिवाली के दिन कुछ घाटों पर नौका विहार (बोट प्रोसेशन) का आयोजन भी किया जाता है। इसमें विशेष रूप से सज्जित नावों पर दीपों को रखा जाता है और नावों के माध्यम से गंगा में इन दीपों को प्रवाहित किया जाता है।
- यह दृश्य अत्यंत आकर्षक होता है, जब नदी में नावें चल रही होती हैं और दीपों की झिलमिलाती रौशनी पानी में परिलक्षित होती है। यह प्रतीक होता है आध्यात्मिक प्रकाश और आध्यात्मिक यात्रा का।
- देव दिवाली के दिन घाटों पर सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन भी होता है, जिसमें कला और नृत्य की प्रस्तुतियाँ दी जाती हैं। विशेष रूप से क्लासिकल डांस और म्यूज़िकल कार्यक्रम आयोजित होते हैं, जो इस दिन के धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व को और भी बढ़ा देते हैं।
- वाराणसी और अन्य तीर्थ स्थानों पर विशेष रूप से भजन-कीर्तन, संगीत प्रदर्शन और काव्य पाठ का आयोजन भी होता है। इन कार्यक्रमों में लोग श्रद्धा भाव से शामिल होते हैं और सामूहिक रूप से आनंदित होते हैं।
- देव दिवाली के दिन घाटों पर रात्रि के समय भव्य दृश्य देखने को मिलता है, जब घाटों पर दीपों और मोमबत्तियों से सजावट की जाती है। यह दृश्य बहुत ही आकर्षक और दिव्य होता है, और दूर-दूर से पर्यटक और श्रद्धालु इस दृश्य का आनंद लेने आते हैं।
- कुछ घाटों पर धार्मिक प्रदक्षिणा और यात्राओं का आयोजन भी होता है। इस दिन लोग गंगा घाटों पर पवित्र परिक्रमा करते हैं और गंगा के तट पर स्थित मंदिरों में पूजा अर्चना करते हैं।
देव दिवाली के दिन शाम के समय घाटों पर मुख्य रूप से दीपदान, गंगा आरती, शिव पूजा, नौका विहार, और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। यह दिन आध्यात्मिकता, धार्मिकता, और सांस्कृतिक एकता का प्रतीक होता है, जहां लाखों श्रद्धालु भगवान शिव और गंगा माता की पूजा में शामिल होते हैं।
1. दीपदान (Diya Ceremony)
- दीपदान देव दिवाली का मुख्य आकर्षण होता है। इस दिन विशेष रूप से गंगा नदी के घाटों पर लाखों दीप जलाए जाते हैं। भक्तगण गंगा में स्नान करने के बाद, दीपक लेकर नदी के किनारे या नावों में रखकर उन्हें पानी में प्रवाहित करते हैं।
- यह दृश्य बेहद भव्य होता है, जब अंधेरे में दीपों की झिलमिलाती रौशनी पूरे घाट को आलोकित कर देती है। दीपों के जलने से वातावरण में एक दिव्य और शांति का अनुभव होता है। यह दृश्य विशेष रूप से गंगा आरती के दौरान देखा जाता है।
2. गंगा आरती (Ganga Aarti)
- देव दिवाली के दिन गंगा आरती का आयोजन शाम के समय विशेष रूप से किया जाता है। वाराणसी के दशाश्वमेध घाट पर यह आरती विशेष रूप से भव्य होती है, जिसमें बड़ी संख्या में लोग शामिल होते हैं।
- आरती के समय दीपों से जलती हुई शमशान की लौ, मंत्रोच्चारण और संगीत का समन्वय होता है, जो एक अद्भुत वातावरण उत्पन्न करता है। यह आरती श्रद्धा और भक्ति का महत्वपूर्ण प्रतीक मानी जाती है, और इसमें भक्तगण गंगा नदी को पवित्र मानकर अर्चना करते हैं।
3. शिव पूजा (Shiva Puja)
- देव दिवाली के दिन विशेष रूप से भगवान शिव की पूजा की जाती है। घाटों पर शिवलिंग पर जल, दूध, और फूल चढ़ाकर पूजा की जाती है। साथ ही महाशिवरात्रि के जैसे मंत्रों का जाप और तंत्र-मंत्र के द्वारा शिव की महिमा का गान किया जाता है।
- इस पूजा में भगवान शिव के आशीर्वाद के लिए मंत्र जाप और अर्चन की जाती है। यह पूजा विशेष रूप से भक्तों के जीवन में सुख, शांति और समृद्धि की कामना करती है।
4. नदी में नौका विहार (Boat Procession)
- देव दिवाली के दिन कुछ घाटों पर नौका विहार (बोट प्रोसेशन) का आयोजन भी किया जाता है। इसमें विशेष रूप से सज्जित नावों पर दीपों को रखा जाता है और नावों के माध्यम से गंगा में इन दीपों को प्रवाहित किया जाता है।
- यह दृश्य अत्यंत आकर्षक होता है, जब नदी में नावें चल रही होती हैं और दीपों की झिलमिलाती रौशनी पानी में परिलक्षित होती है। यह प्रतीक होता है आध्यात्मिक प्रकाश और आध्यात्मिक यात्रा का।
5. सांस्कृतिक कार्यक्रम और नृत्य (Cultural Programs and Dance)
- देव दिवाली के दिन घाटों पर सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन भी होता है, जिसमें कला और नृत्य की प्रस्तुतियाँ दी जाती हैं। विशेष रूप से क्लासिकल डांस और म्यूज़िकल कार्यक्रम आयोजित होते हैं, जो इस दिन के धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व को और भी बढ़ा देते हैं।
- वाराणसी और अन्य तीर्थ स्थानों पर विशेष रूप से भजन-कीर्तन, संगीत प्रदर्शन और काव्य पाठ का आयोजन भी होता है। इन कार्यक्रमों में लोग श्रद्धा भाव से शामिल होते हैं और सामूहिक रूप से आनंदित होते हैं।
6. रात्रि का भव्य दृश्य (Night Time Illumination)
- देव दिवाली के दिन घाटों पर रात्रि के समय भव्य दृश्य देखने को मिलता है, जब घाटों पर दीपों और मोमबत्तियों से सजावट की जाती है। यह दृश्य बहुत ही आकर्षक और दिव्य होता है, और दूर-दूर से पर्यटक और श्रद्धालु इस दृश्य का आनंद लेने आते हैं।
7. प्रदक्षिणा और धार्मिक यात्राएं (Circumambulation and Religious Processions)
- कुछ घाटों पर धार्मिक प्रदक्षिणा और यात्राओं का आयोजन भी होता है। इस दिन लोग गंगा घाटों पर पवित्र परिक्रमा करते हैं और गंगा के तट पर स्थित मंदिरों में पूजा अर्चना करते हैं।
पञ्चाङ्ग कैलेण्डर 03 Dec 2024 (उज्जैन)
आज का पञ्चाङ्ग
दिनांक: 2024-12-03
मास: मार्गशीर्ष
दिन: मंगलवार
पक्ष: शुक्ल पक्ष
तिथि: द्वितीया तिथि 01:09 PM तक उपरांत तृतीया
नक्षत्र: नक्षत्र मूल 04:41 PM तक उपरांत पूर्वाषाढ़ा
शुभ मुहूर्त: अभिजीत मुहूर्त - 11:50 AM – 12:31 PM
राहु काल: 2:45 PM – 4:02 PM
यमघंट: 9:36 AM – 10:53 AM
शक संवत: 1946, क्रोधी
विक्रम संवत: 2081, पिंगल
दिशाशूल: उत्तर
आज का व्रत त्यौहार: