शुभम
सत्य से बड़ा तो ईश्वर भी नहीं
सनातन धर्म में मंदिर की मूर्तियों और चित्रों में पौराणिक कहानियों को कैसे चित्रित किया गया है?
सनातन धर्म में मंदिरों की मूर्तियाँ और चित्र पौराणिक कथाओं, देवी-देवताओं की महिमा और आध्यात्मिक शिक्षाओं का चित्रण करने का एक महत्वपूर्ण माध्यम हैं। यह चित्रण शास्त्रों, पुराणों, और अन्य धार्मिक ग्रंथों से प्रेरित होता है, और मंदिरों की दीवारों, शिखरों, गर्भगृह, और मंडपों में इनका विवरण देखा जा सकता है। पौराणिक कथाओं को मूर्तियों और चित्रों के माध्यम से जीवंत किया जाता है, ताकि भक्त उन कथाओं को समझ सकें और उनके जीवन में लागू कर सकें।
सनातन धर्म में मंदिरों में पौराणिक कहानियों का चित्रण न केवल धार्मिक पूजा का हिस्सा है, बल्कि यह समाज में नैतिक और आध्यात्मिक शिक्षा का माध्यम भी है। मूर्तियाँ और चित्र पौराणिक घटनाओं को जीवन्त करते हैं, जिससे भक्तों को देवताओं की महिमा, आदर्श जीवन, और ईश्वर के प्रति श्रद्धा और भक्ति की प्रेरणा मिलती है। इन चित्रों और मूर्तियों का वैज्ञानिक और धार्मिक महत्व भी है, जो भक्तों को भौतिक और मानसिक शांति का अनुभव कराता है।
मंदिरों में मूर्तियों का निर्माण केवल धार्मिक पूजा के लिए नहीं, बल्कि उन कथाओं और आदर्शों को चित्रित करने के लिए भी किया जाता है जो हिंदू धर्म की मूलभूत शिक्षाओं का हिस्सा हैं।
- भगवान विष्णु के दस अवतार (दशावतार):
भगवान विष्णु के दस प्रमुख अवतारों—मत्स्य, कूर्म, वराह, नरसिंह, वामन, परशुराम, राम, कृष्ण, बुद्ध, और कल्कि—का चित्रण मंदिरों की मूर्तियों में देखा जाता है।
- उदाहरण: कोणार्क सूर्य मंदिर में भगवान सूर्य के रथ को चित्रित किया गया है, जो जीवन और ब्रह्मांडीय चक्र को दर्शाता है।
- राम मंदिर (अयोध्या) में भगवान राम, सीता, लक्ष्मण और हनुमान की मूर्तियाँ होती हैं, जो रामायण के प्रमुख पात्रों और घटनाओं को प्रत्यक्ष रूप से दर्शाती हैं।
- भगवान शिव की मूर्तियाँ:
भगवान शिव की मूर्तियाँ अक्सर उनकी तांडव मुद्रा, ध्यान की अवस्था, या उनके पारिवारिक जीवन के रूप में होती हैं।
- उज्जैन के महाकाल मंदिर में भगवान शिव की विशाल प्रतिमा है, जिसमें वे अपने परिवार के साथ दिखते हैं (शिव, पार्वती, गणेश, और कार्तिकेय)।
- कांचीकामेश्वर मंदिर (तमिलनाडु) में शिव के साथ देवी पार्वती और उनका वाहन नंदी भी चित्रित किया जाता है।
- देवी दुर्गा की मूर्तियाँ:
देवी दुर्गा की मूर्तियाँ विशेष रूप से उनके महिषासुर मर्दिनी रूप में होती हैं, जो महिषासुर राक्षस का वध करती हैं।
- दुर्गा पूजा के समय देवी दुर्गा के विभिन्न रूपों की मूर्तियाँ तैयार की जाती हैं, जैसे महिषासुर मर्दिनी या दारिद्रय निवारिणी।
- गणेश की मूर्तियाँ:
गणेश जी की मूर्तियाँ आमतौर पर उनके दंत के साथ, हाथी के सिर के साथ और उनके वाहन, मूषक के साथ होती हैं। इन मूर्तियों का उद्देश्य भक्तों को बाधाओं को दूर करने और सिद्धि प्राप्त करने की प्रेरणा देना है।
मंदिरों की दीवारों और छतों पर चित्रित की गई पौराणिक कथाएँ हिंदू धर्म की विविधता और उसकी भव्यता को व्यक्त करती हैं। इन चित्रों में घटनाओं, देवताओं और उनके गुणों को दर्शाया जाता है।
- रामायण और महाभारत के दृश्य:
- रामायण के चित्र मंदिरों में राम के वनवास, रावण वध, और सीता के आदर्श को दर्शाते हैं।
- महाभारत के चित्रों में अर्जुन का भगवान श्री कृष्ण से गीता उपदेश, कौरवों और पांडवों के युद्ध के दृश्य, और कर्ण, भीम, द्रौपदी के प्रमुख घटनाएँ दिखती हैं।
- द्वारका के मंदिर में भगवान कृष्ण के जीवन के विभिन्न चरणों का चित्रण किया जाता है, जैसे उनकी बाल लीलाएँ, रासलीला, और अर्जुन को गीता का उपदेश।
- दक्षिण भारतीय मंदिरों में चित्रण:
- कांची पुरम के विराट मंदिरों में प्रमुख देवताओं के जीवन के चित्रण होते हैं, जिसमें विशेष रूप से भगवान विष्णु के रूपों और उनके अवतारों के दृश्य होते हैं।
- हस्सन मंदिर में भी विष्णु के विभिन्न अवतारों का चित्रण किया गया है, जैसे वराह, नरसिंह और राम के चित्र।
- स्वयं शिव की चित्रण शैली:
- आंध्र प्रदेश के श्रीशैल मंदिर में देवी महाकाली के युद्ध और शिव के तांडव का चित्रण है।
- केरल के अलीश्वर मंदिर में भगवान शिव की शांत और ध्यानमग्न अवस्था के चित्रण के साथ पार्वती की पूजा और उनके पारिवारिक जीवन के दृश्य हैं।
- धर्म, कर्म और भक्ति:
पौराणिक कहानियाँ मंदिरों की मूर्तियों और चित्रों के माध्यम से जीवन के महत्वपूर्ण पाठ सिखाती हैं। उदाहरण के लिए, भगवान राम की पूजा से धर्म और कर्म के महत्व को समझाया जाता है, जबकि भगवान कृष्ण की रासलीला भक्तिरूप में प्रेम और भक्ति का प्रतीक है।
- नैतिकता और आदर्श जीवन:
- महाभारत के युद्ध के दृश्य और अर्जुन का गीता उपदेश समानता, कर्तव्य और न्याय के बारे में शिक्षाएँ देते हैं।
- विष्णु के अवतार समाज में अच्छाई की विजय के रूप में धर्म, सत्य, और सत्याग्रह के आदर्शों को प्रदर्शित करते हैं।
- आध्यात्मिक सिद्धांत:
मूर्तियाँ और चित्र आध्यात्मिक मार्गदर्शन देने के लिए होती हैं, जैसे भगवान शिव की ध्यानमग्न मूर्तियाँ भक्तों को ध्यान और आध्यात्मिकता की ओर प्रेरित करती हैं।
- भगवान विष्णु के चित्रण से यह संदेश मिलता है कि सृष्टि की रक्षा और संतुलन के लिए ईश्वर सदा तत्पर रहते हैं।
- कृष्ण की चित्रकला से प्रेम और आध्यात्मिक मिलन के सिद्धांतों को देखा जाता है।
हर चित्र और मूर्ति में धार्मिक प्रतीक और सांस्कृतिक अभिव्यक्ति छिपी होती है:
- लक्ष्मी का चित्रण धन, समृद्धि और सुख की कामना का प्रतीक है।
- नंदी के चित्रण से विनम्रता और श्रद्धा का संदेश मिलता है।
- नाग का चित्रण सर्वशक्तिमान की शक्ति और सुरक्षा का प्रतीक होता है।
सनातन धर्म में मंदिरों में पौराणिक कहानियों का चित्रण न केवल धार्मिक पूजा का हिस्सा है, बल्कि यह समाज में नैतिक और आध्यात्मिक शिक्षा का माध्यम भी है। मूर्तियाँ और चित्र पौराणिक घटनाओं को जीवन्त करते हैं, जिससे भक्तों को देवताओं की महिमा, आदर्श जीवन, और ईश्वर के प्रति श्रद्धा और भक्ति की प्रेरणा मिलती है। इन चित्रों और मूर्तियों का वैज्ञानिक और धार्मिक महत्व भी है, जो भक्तों को भौतिक और मानसिक शांति का अनुभव कराता है।
1. मूर्तियों में पौराणिक कथाओं का चित्रण
मंदिरों में मूर्तियों का निर्माण केवल धार्मिक पूजा के लिए नहीं, बल्कि उन कथाओं और आदर्शों को चित्रित करने के लिए भी किया जाता है जो हिंदू धर्म की मूलभूत शिक्षाओं का हिस्सा हैं।
- भगवान विष्णु के दस अवतार (दशावतार):
भगवान विष्णु के दस प्रमुख अवतारों—मत्स्य, कूर्म, वराह, नरसिंह, वामन, परशुराम, राम, कृष्ण, बुद्ध, और कल्कि—का चित्रण मंदिरों की मूर्तियों में देखा जाता है।
- उदाहरण: कोणार्क सूर्य मंदिर में भगवान सूर्य के रथ को चित्रित किया गया है, जो जीवन और ब्रह्मांडीय चक्र को दर्शाता है।
- राम मंदिर (अयोध्या) में भगवान राम, सीता, लक्ष्मण और हनुमान की मूर्तियाँ होती हैं, जो रामायण के प्रमुख पात्रों और घटनाओं को प्रत्यक्ष रूप से दर्शाती हैं।
- भगवान शिव की मूर्तियाँ:
भगवान शिव की मूर्तियाँ अक्सर उनकी तांडव मुद्रा, ध्यान की अवस्था, या उनके पारिवारिक जीवन के रूप में होती हैं।
- उज्जैन के महाकाल मंदिर में भगवान शिव की विशाल प्रतिमा है, जिसमें वे अपने परिवार के साथ दिखते हैं (शिव, पार्वती, गणेश, और कार्तिकेय)।
- कांचीकामेश्वर मंदिर (तमिलनाडु) में शिव के साथ देवी पार्वती और उनका वाहन नंदी भी चित्रित किया जाता है।
- देवी दुर्गा की मूर्तियाँ:
देवी दुर्गा की मूर्तियाँ विशेष रूप से उनके महिषासुर मर्दिनी रूप में होती हैं, जो महिषासुर राक्षस का वध करती हैं।
- दुर्गा पूजा के समय देवी दुर्गा के विभिन्न रूपों की मूर्तियाँ तैयार की जाती हैं, जैसे महिषासुर मर्दिनी या दारिद्रय निवारिणी।
- गणेश की मूर्तियाँ:
गणेश जी की मूर्तियाँ आमतौर पर उनके दंत के साथ, हाथी के सिर के साथ और उनके वाहन, मूषक के साथ होती हैं। इन मूर्तियों का उद्देश्य भक्तों को बाधाओं को दूर करने और सिद्धि प्राप्त करने की प्रेरणा देना है।
2. चित्रों में पौराणिक कथाओं का चित्रण
मंदिरों की दीवारों और छतों पर चित्रित की गई पौराणिक कथाएँ हिंदू धर्म की विविधता और उसकी भव्यता को व्यक्त करती हैं। इन चित्रों में घटनाओं, देवताओं और उनके गुणों को दर्शाया जाता है।
- रामायण और महाभारत के दृश्य:
- रामायण के चित्र मंदिरों में राम के वनवास, रावण वध, और सीता के आदर्श को दर्शाते हैं।
- महाभारत के चित्रों में अर्जुन का भगवान श्री कृष्ण से गीता उपदेश, कौरवों और पांडवों के युद्ध के दृश्य, और कर्ण, भीम, द्रौपदी के प्रमुख घटनाएँ दिखती हैं।
- द्वारका के मंदिर में भगवान कृष्ण के जीवन के विभिन्न चरणों का चित्रण किया जाता है, जैसे उनकी बाल लीलाएँ, रासलीला, और अर्जुन को गीता का उपदेश।
- दक्षिण भारतीय मंदिरों में चित्रण:
- कांची पुरम के विराट मंदिरों में प्रमुख देवताओं के जीवन के चित्रण होते हैं, जिसमें विशेष रूप से भगवान विष्णु के रूपों और उनके अवतारों के दृश्य होते हैं।
- हस्सन मंदिर में भी विष्णु के विभिन्न अवतारों का चित्रण किया गया है, जैसे वराह, नरसिंह और राम के चित्र।
- स्वयं शिव की चित्रण शैली:
- आंध्र प्रदेश के श्रीशैल मंदिर में देवी महाकाली के युद्ध और शिव के तांडव का चित्रण है।
- केरल के अलीश्वर मंदिर में भगवान शिव की शांत और ध्यानमग्न अवस्था के चित्रण के साथ पार्वती की पूजा और उनके पारिवारिक जीवन के दृश्य हैं।
3. मूर्तियों और चित्रों के माध्यम से सिखाई जाने वाली शिक्षाएँ
- धर्म, कर्म और भक्ति:
पौराणिक कहानियाँ मंदिरों की मूर्तियों और चित्रों के माध्यम से जीवन के महत्वपूर्ण पाठ सिखाती हैं। उदाहरण के लिए, भगवान राम की पूजा से धर्म और कर्म के महत्व को समझाया जाता है, जबकि भगवान कृष्ण की रासलीला भक्तिरूप में प्रेम और भक्ति का प्रतीक है।
- नैतिकता और आदर्श जीवन:
- महाभारत के युद्ध के दृश्य और अर्जुन का गीता उपदेश समानता, कर्तव्य और न्याय के बारे में शिक्षाएँ देते हैं।
- विष्णु के अवतार समाज में अच्छाई की विजय के रूप में धर्म, सत्य, और सत्याग्रह के आदर्शों को प्रदर्शित करते हैं।
- आध्यात्मिक सिद्धांत:
मूर्तियाँ और चित्र आध्यात्मिक मार्गदर्शन देने के लिए होती हैं, जैसे भगवान शिव की ध्यानमग्न मूर्तियाँ भक्तों को ध्यान और आध्यात्मिकता की ओर प्रेरित करती हैं।
- भगवान विष्णु के चित्रण से यह संदेश मिलता है कि सृष्टि की रक्षा और संतुलन के लिए ईश्वर सदा तत्पर रहते हैं।
- कृष्ण की चित्रकला से प्रेम और आध्यात्मिक मिलन के सिद्धांतों को देखा जाता है।
4. चित्रण में धार्मिक प्रतीक और अभिव्यक्ति
हर चित्र और मूर्ति में धार्मिक प्रतीक और सांस्कृतिक अभिव्यक्ति छिपी होती है:
- लक्ष्मी का चित्रण धन, समृद्धि और सुख की कामना का प्रतीक है।
- नंदी के चित्रण से विनम्रता और श्रद्धा का संदेश मिलता है।
- नाग का चित्रण सर्वशक्तिमान की शक्ति और सुरक्षा का प्रतीक होता है।
पञ्चाङ्ग कैलेण्डर 02 Dec 2024 (उज्जैन)
आज का पञ्चाङ्ग
दिनांक: 2024-12-02
मास: मार्गशीर्ष
दिन: सोमवार
पक्ष: शुक्ल पक्ष
तिथि: प्रतिपदा तिथि 12:43 PM तक उपरांत द्वितीया
नक्षत्र: नक्षत्र ज्येष्ठा 03:45 PM तक उपरांत मूल
शुभ मुहूर्त: अभिजीत मुहूर्त - 11:49 AM – 12:31 PM
राहु काल: 8:19 AM – 9:36 AM
यमघंट: 10:53 AM – 12:10 PM
शक संवत: 1946, क्रोधी
विक्रम संवत: 2081, पिंगल
दिशाशूल: पूरब
आज का व्रत त्यौहार: इष्टि