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सत्य से बड़ा तो ईश्‍वर भी नहीं

सनातन धर्म में मोक्ष का क्या अर्थ है?

सनातन धर्म में मोक्ष का अर्थ है जन्म-मरण के चक्र (संसार) से मुक्ति और आत्मा का परमात्मा से मिलन। इसे जीवन का अंतिम और परम लक्ष्य माना गया है। मोक्ष व्यक्ति को इस संसार के दुखों, बंधनों और भ्रम से मुक्त करता है।

मोक्ष का तात्पर्य

संसार बंधनों से मुक्ति:
मोक्ष का अर्थ है सांसारिक सुख-दुख, इच्छाओं, और कर्मों के बंधन से मुक्त होना।
इसे मुक्ति, निर्वाण या कैवल्य भी कहा जाता है।

परम शांति:
मोक्ष प्राप्त व्यक्ति सभी भौतिक और मानसिक कष्टों से परे होता है और उसे परमानंद या शाश्वत शांति की प्राप्ति होती है।

आत्मा और ब्रह्म का मिलन:
मोक्ष आत्मा का ब्रह्म (परम शक्ति) में विलय है, जहाँ आत्मा अपनी स्वतंत्र पहचान छोड़कर पूर्णता को प्राप्त करती है।
मोक्ष प्राप्ति के मार्ग
सनातन धर्म में मोक्ष प्राप्ति के लिए चार मुख्य मार्ग बताए गए हैं:

ज्ञान योग (ज्ञान का मार्ग):
आत्मा, ब्रह्म, और संसार के सत्य को समझने का मार्ग।
उपनिषदों और भगवद्गीता में ज्ञान योग का महत्व बताया गया है।
आत्मा और माया (भ्रम) का भेद जानना इस मार्ग का मूल है।

भक्ति योग (भक्ति का मार्ग):
पूर्ण श्रद्धा और प्रेम के साथ ईश्वर की उपासना।
इसमें भक्ति और आत्मसमर्पण से मोक्ष की प्राप्ति होती है।
श्रीकृष्ण ने भगवद्गीता में भक्ति योग को सर्वोत्तम मार्ग बताया है।

कर्म योग (कर्म का मार्ग):
निस्वार्थ कर्म करना, बिना फल की चिंता किए।
अपने कर्तव्य का पालन करते हुए संसार से विमुक्त होना।

राज योग (ध्यान और योग का मार्ग):
ध्यान और आत्मसंयम के माध्यम से आत्मा को शुद्ध करना।
पतंजलि के योग सूत्र में इसे विस्तृत रूप से समझाया गया है।


मोक्ष के लक्षण

त्रिविध दुखों से मुक्ति:
भौतिक (आधिभौतिक), मानसिक (आधिदैविक), और आध्यात्मिक (आध्यात्मिक) दुखों से मुक्त होना।

सांसारिक इच्छाओं का अंत:
कामना और लोभ का अंत।

समत्व भाव:
सुख-दुख, लाभ-हानि, जय-पराजय में समान दृष्टि रखना।

शाश्वत आनंद:
सांसारिक बंधनों से मुक्त होकर आत्मा का अनुभव।


मोक्ष का संबंध अन्य विचारधाराओं से

पुनर्जन्म:
सनातन धर्म के अनुसार आत्मा अनंत है और शरीर नश्वर।
जब तक आत्मा अपने कर्मों के फल भोगती है, तब तक पुनर्जन्म का चक्र चलता रहता है।
मोक्ष प्राप्ति के बाद आत्मा पुनः जन्म नहीं लेती।

पाप और पुण्य:
मोक्ष प्राप्त करने के लिए व्यक्ति को पाप कर्मों से बचकर पुण्य कर्म करने चाहिए।


मोक्ष का महत्व

जीवन का अंतिम लक्ष्य:
सनातन धर्म में इसे "पुरुषार्थ" के चार मुख्य उद्देश्यों (धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष) में से अंतिम और सर्वोच्च उद्देश्य माना गया है।

सर्वोच्च स्वतंत्रता:
यह आत्मा की पूर्ण स्वतंत्रता और शाश्वत शांति की स्थिति है।

निष्कर्ष
मोक्ष का अर्थ है सांसारिक चक्र से पूर्ण मुक्ति और आत्मा का ब्रह्म के साथ एकात्म होना। यह जीवन का अंतिम लक्ष्य है और इसे विभिन्न मार्गों से प्राप्त किया जा सकता है। मोक्ष का उद्देश्य न केवल व्यक्तिगत मुक्ति है, बल्कि यह ब्रह्मांडीय चेतना से जुड़ने और शाश्वत सत्य को जानने का मार्ग भी है।
पञ्चाङ्ग कैलेण्डर 03 Dec 2024 (उज्जैन)

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