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हिंदू मंदिरों में प्रमुख स्थापत्य शैलियाँ कौन-सी हैं (जैसे द्रविड़, नागरा, वेसर)?

हिंदू मंदिरों की स्थापत्य शैलियाँ भारतीय कला और संस्कृति का अद्वितीय उदाहरण हैं। इन शैलियों का विकास भौगोलिक, सांस्कृतिक, और धार्मिक प्रभावों के आधार पर हुआ। प्रमुख स्थापत्य शैलियाँ नागरा, द्रविड़, और वेसर हैं। प्रत्येक शैली का अपना अनूठा स्थापत्य स्वरूप, डिज़ाइन, और सजावट है।

हिंदू मंदिरों की स्थापत्य शैलियाँ भारतीय संस्कृति, भौगोलिक विविधता, और धार्मिक दृष्टिकोण को दर्शाती हैं।
- नागरा शैली उत्तर भारत में अद्वितीय ऊंचाई और भव्यता प्रदान करती है।
- द्रविड़ शैली दक्षिण भारत में विस्तृत और विस्तृत वास्तुकला का प्रतीक है।
- वेसर शैली इन दोनों का सुंदर समन्वय है।
ये शैलियाँ आज भी भारतीय कला, संस्कृति, और अध्यात्म की धरोहर को संजोए हुए हैं।

1. नागरा शैली (उत्तर भारतीय शैली)


विशेषताएँ:


1. शिखर का स्वरूप:
- नागरा शैली के मंदिरों में शिखर (मंदिर की ऊंची छत) पिरामिडनुमा होता है और ऊपर की ओर सुई जैसी नुकीली आकृति में समाप्त होता है।
2. गरभागृह (मुख्य मंदिर):
- गर्भगृह के ऊपर शिखर और उसके आसपास छोटे-छोटे शिखरों की श्रृंखला होती है।
- यह "रथाकार" (गाड़ी के पहिये जैसा) डिजाइन भी प्रदर्शित करता है।
3. मंडप:
- मुख्य गर्भगृह से जुड़े मंडप होते हैं, जहां भक्त एकत्र होते हैं।
4. मूर्ति और सजावट:
- बाहरी दीवारों पर सुंदर नक्काशी और मूर्तियाँ होती हैं, जो देवी-देवताओं, मिथकीय कहानियों और प्राकृतिक आकृतियों को दर्शाती हैं।
5. कोई गोपुरम नहीं:
- नागरा शैली के मंदिरों में दक्षिण भारतीय द्रविड़ शैली की तरह गोपुरम (मुख्य द्वार के ऊपर बना विशाल द्वार-टॉवर) नहीं होता।

उदाहरण:


- खजुराहो के मंदिर (मध्य प्रदेश)
- कोणार्क का सूर्य मंदिर (ओडिशा)
- मुक्तेश्वर मंदिर (भुवनेश्वर)
- केदारनाथ और बद्रीनाथ मंदिर (उत्तराखंड)

2. द्रविड़ शैली (दक्षिण भारतीय शैली)


विशेषताएँ:


1. गोपुरम (प्रवेश द्वार):
- मुख्य मंदिर परिसर में गोपुरम (द्वार के ऊपर विशाल टॉवर) सबसे आकर्षक और भव्य होता है।
2. शिखर (विमान):
- गर्भगृह के ऊपर बना शिखर पिरामिडनुमा और सीढ़ीनुमा होता है।
- इसे "विमान" कहा जाता है।
3. दीवारों से घिरा परिसर:
- मंदिर चारों ओर से मजबूत दीवारों से घिरा होता है।
4. जलाशय:
- मंदिर के पास एक जलाशय या तालाब होता है, जो धार्मिक स्नान के लिए उपयोग किया जाता है।
5. मूर्ति और नक्काशी:
- दीवारों, खंभों, और शिखर पर जटिल नक्काशी होती है। इसमें पौराणिक कथाओं और धार्मिक प्रतीकों का चित्रण किया जाता है।

उदाहरण:


- बृहदेश्वर मंदिर (तमिलनाडु)
- मीनाक्षी मंदिर (मदुरै)
- रामेश्वरम मंदिर
- श्रीरंगम मंदिर (त्रिची)

3. वेसर शैली (मध्य भारतीय मिश्रित शैली)


विशेषताएँ:


1. मिश्रित शैली:
- वेसर शैली उत्तर और दक्षिण भारत की स्थापत्य परंपराओं का समन्वय है।
- इसमें नागरा शैली की शिखर संरचना और द्रविड़ शैली के मंडप और गोपुरम का मिश्रण होता है।
2. सजावट:
- मंदिरों की दीवारों और शिखरों पर जटिल नक्काशी होती है।
3. खुलापन:
- गर्भगृह के चारों ओर मंडप और खुले प्रांगण होते हैं।
4. अनुपात:
- मंदिरों का डिज़ाइन ज्यामितीय और संतुलित होता है।

उदाहरण:


- हौसेलेश्वर मंदिर (कर्नाटक)
- कांचीपुरम के मंदिर
- बेलूर और हलेबिड के मंदिर (कर्नाटक)
- एलोरा के कैलाश मंदिर (महाराष्ट्र)

अन्य स्थापत्य शैलियाँ


इन तीन प्रमुख शैलियों के अलावा, कुछ अन्य शैलियाँ भी विकसित हुईं:
1. हॉयसला शैली (कर्नाटक):
- मंदिरों की आधारशिला तारे के आकार की होती है।
- जटिल नक्काशी और मूर्तियाँ इसकी विशेषता हैं।
2. ओड़िशा शैली:
- नागरा शैली का उपभेद, जिसमें मंदिरों की शिखर संरचना अधिक गोल होती है।
- उदाहरण: कोणार्क सूर्य मंदिर।
3. हेमाडपंथी शैली (महाराष्ट्र):
- काले पत्थरों से निर्मित, साधारण और मजबूत संरचना।
पञ्चाङ्ग कैलेण्डर 02 Dec 2024 (उज्जैन)

आज का पञ्चाङ्ग

दिनांक: 2024-12-02
मास: मार्गशीर्ष
दिन: सोमवार
पक्ष: शुक्ल पक्ष
तिथि: प्रतिपदा तिथि 12:43 PM तक उपरांत द्वितीया
नक्षत्र: नक्षत्र ज्येष्ठा 03:45 PM तक उपरांत मूल
शुभ मुहूर्त: अभिजीत मुहूर्त - 11:49 AM – 12:31 PM
राहु काल: 8:19 AM – 9:36 AM
यमघंट: 10:53 AM – 12:10 PM
शक संवत: 1946, क्रोधी
विक्रम संवत: 2081, पिंगल
दिशाशूल: पूरब
आज का व्रत त्यौहार: इष्टि