शुभम
सत्य से बड़ा तो ईश्वर भी नहीं
देव दिवाली के समय कौन से प्रमुख घाटों पर दीप जलाए जाते हैं?
देव दिवाली के समय विशेष रूप से वाराणसी (बनारस) और अन्य गंगा तटों पर दीप जलाने का आयोजन धूमधाम से होता है। वाराणसी में गंगा नदी के किनारे स्थित प्रमुख घाटों पर दीप जलाए जाते हैं, जिनकी सांस्कृतिक और धार्मिक महत्ता अत्यधिक है। ये घाट धार्मिक दृष्टि से अत्यंत पवित्र माने जाते हैं, और देव दिवाली के दिन इन घाटों पर लाखों दीप जलाए जाते हैं। प्रमुख घाटों पर दीप जलाने का उद्देश्य भगवान शिव और गंगा की पूजा के साथ-साथ धार्मिक आस्था को व्यक्त करना होता है।
देव दिवाली के दिन वाराणसी के इन प्रमुख घाटों पर दीप जलाना न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि यह भगवान शिव और गंगा के प्रति श्रद्धा व्यक्त करने का एक दिव्य अवसर होता है। इन घाटों पर जलाए गए दीपों से न केवल भक्तों को आशीर्वाद प्राप्त होता है, बल्कि यह दीपों की रोशनी पूरे शहर को एक पवित्र और भक्तिमय वातावरण में तब्दील कर देती है।
- दशाश्वमेध घाट वाराणसी का सबसे प्रसिद्ध घाट है, जो गंगा के किनारे स्थित है और यहां पर गंगा आरती का आयोजन भी बड़े पैमाने पर होता है।
- देव दिवाली के दिन, दशाश्वमेध घाट पर लाखों दीप जलाए जाते हैं। यह घाट गंगा नदी के तट पर स्थित है, और यहाँ का दृश्य अत्यंत भक्तिमय और दिव्य होता है।
- दीपों की रोशनी से सजा यह घाट एक अद्भुत दृश्य प्रस्तुत करता है, जहां भक्त गंगा में दीप डालकर आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।
- हरिश्चंद्र घाट भी एक प्रमुख घाट है, जो समाधि और शवदाह के लिए प्रसिद्ध है।
- देव दिवाली के दिन, इस घाट पर भी दीप जलाए जाते हैं। यह घाट विशेष रूप से धार्मिक मोक्ष के प्रतीक के रूप में जाना जाता है, और इस दिन यहाँ का वातावरण भक्तिमय हो जाता है।
- यहां के दीपदान से भक्त शुद्धि, पापों के नाश, और आध्यात्मिक उन्नति की कामना करते हैं।
- मणिकर्णिका घाट को पुण्य का घाट और मृत्यु का स्थल माना जाता है, जहां हर दिन शवों का अंतिम संस्कार किया जाता है।
- देव दिवाली के दिन इस घाट पर दीप जलाने की विशेष महिमा है।
- इस दिन, यहां दीपों की आभा से वातावरण एक दिव्य रूप धारण कर लेता है, जो कि जीवन और मृत्यु के चक्र के बीच गहरी आध्यात्मिकता का प्रतीक है।
- तुलसी घाट भी देव दिवाली के समय अत्यंत महत्वपूर्ण होता है।
- यहां पर दीप जलाने का उद्देश्य भगवान शिव और तुलसी के प्रति श्रद्धा व्यक्त करना है।
- यह घाट तुलसी के पौधे के साथ जुड़ा हुआ है, और भक्त यहाँ पर दीप जलाकर पुण्य और आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।
- अस्सी घाट भी वाराणसी का एक प्रमुख घाट है, जो गंगा के किनारे स्थित है।
- देव दिवाली के समय, अस्सी घाट पर भी दीप जलाए जाते हैं, और यहां की गंगा आरती का आयोजन भक्तों को आकर्षित करता है।
- इस घाट पर दीप जलाने का उद्देश्य धर्म की विजय, आध्यात्मिक उन्नति, और भगवान शिव और गंगा की कृपा प्राप्त करना होता है।
- मीर घाट भी देव दिवाली के दिन दीपों से सजता है। यह घाट भक्तों के लिए एक और पवित्र स्थल है, जहाँ वे गंगा में स्नान करने के बाद दीप जलाते हैं।
- यहाँ का दृश्य बेहद भव्य और धार्मिक होता है, जो पूरे वाराणसी के अद्भुत दीप जलाने के दृश्य का हिस्सा होता है।
- काशी विश्वनाथ घाट, जो काशी विश्वनाथ मंदिर के पास स्थित है, भी देव दिवाली के दिन विशेष रूप से सजाया जाता है।
- इस घाट पर दीप जलाकर लोग भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए प्रार्थना करते हैं।
- यह घाट धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है और यहां पर जलाए गए दीप भगवान शिव के प्रति श्रद्धा का प्रतीक होते हैं।
- राज घाट भी एक प्रमुख घाट है जहां देव दिवाली के दिन दीप जलाए जाते हैं।
- यहाँ पर शिव और गंगा की पूजा की जाती है, और दीप जलाने से धार्मिक शांति और सुख की कामना की जाती है।
देव दिवाली के दिन वाराणसी के इन प्रमुख घाटों पर दीप जलाना न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि यह भगवान शिव और गंगा के प्रति श्रद्धा व्यक्त करने का एक दिव्य अवसर होता है। इन घाटों पर जलाए गए दीपों से न केवल भक्तों को आशीर्वाद प्राप्त होता है, बल्कि यह दीपों की रोशनी पूरे शहर को एक पवित्र और भक्तिमय वातावरण में तब्दील कर देती है।
वाराणसी के प्रमुख घाटों पर दीप जलाए जाते हैं:
1. दशाश्वमेध घाट
- दशाश्वमेध घाट वाराणसी का सबसे प्रसिद्ध घाट है, जो गंगा के किनारे स्थित है और यहां पर गंगा आरती का आयोजन भी बड़े पैमाने पर होता है।
- देव दिवाली के दिन, दशाश्वमेध घाट पर लाखों दीप जलाए जाते हैं। यह घाट गंगा नदी के तट पर स्थित है, और यहाँ का दृश्य अत्यंत भक्तिमय और दिव्य होता है।
- दीपों की रोशनी से सजा यह घाट एक अद्भुत दृश्य प्रस्तुत करता है, जहां भक्त गंगा में दीप डालकर आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।
2. हरिश्चंद्र घाट
- हरिश्चंद्र घाट भी एक प्रमुख घाट है, जो समाधि और शवदाह के लिए प्रसिद्ध है।
- देव दिवाली के दिन, इस घाट पर भी दीप जलाए जाते हैं। यह घाट विशेष रूप से धार्मिक मोक्ष के प्रतीक के रूप में जाना जाता है, और इस दिन यहाँ का वातावरण भक्तिमय हो जाता है।
- यहां के दीपदान से भक्त शुद्धि, पापों के नाश, और आध्यात्मिक उन्नति की कामना करते हैं।
3. मणिकर्णिका घाट
- मणिकर्णिका घाट को पुण्य का घाट और मृत्यु का स्थल माना जाता है, जहां हर दिन शवों का अंतिम संस्कार किया जाता है।
- देव दिवाली के दिन इस घाट पर दीप जलाने की विशेष महिमा है।
- इस दिन, यहां दीपों की आभा से वातावरण एक दिव्य रूप धारण कर लेता है, जो कि जीवन और मृत्यु के चक्र के बीच गहरी आध्यात्मिकता का प्रतीक है।
4. तुलसी घाट
- तुलसी घाट भी देव दिवाली के समय अत्यंत महत्वपूर्ण होता है।
- यहां पर दीप जलाने का उद्देश्य भगवान शिव और तुलसी के प्रति श्रद्धा व्यक्त करना है।
- यह घाट तुलसी के पौधे के साथ जुड़ा हुआ है, और भक्त यहाँ पर दीप जलाकर पुण्य और आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।
5. अस्सी घाट
- अस्सी घाट भी वाराणसी का एक प्रमुख घाट है, जो गंगा के किनारे स्थित है।
- देव दिवाली के समय, अस्सी घाट पर भी दीप जलाए जाते हैं, और यहां की गंगा आरती का आयोजन भक्तों को आकर्षित करता है।
- इस घाट पर दीप जलाने का उद्देश्य धर्म की विजय, आध्यात्मिक उन्नति, और भगवान शिव और गंगा की कृपा प्राप्त करना होता है।
6. मीर घाट
- मीर घाट भी देव दिवाली के दिन दीपों से सजता है। यह घाट भक्तों के लिए एक और पवित्र स्थल है, जहाँ वे गंगा में स्नान करने के बाद दीप जलाते हैं।
- यहाँ का दृश्य बेहद भव्य और धार्मिक होता है, जो पूरे वाराणसी के अद्भुत दीप जलाने के दृश्य का हिस्सा होता है।
7. काशी विश्वनाथ घाट
- काशी विश्वनाथ घाट, जो काशी विश्वनाथ मंदिर के पास स्थित है, भी देव दिवाली के दिन विशेष रूप से सजाया जाता है।
- इस घाट पर दीप जलाकर लोग भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए प्रार्थना करते हैं।
- यह घाट धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है और यहां पर जलाए गए दीप भगवान शिव के प्रति श्रद्धा का प्रतीक होते हैं।
8. राज घाट
- राज घाट भी एक प्रमुख घाट है जहां देव दिवाली के दिन दीप जलाए जाते हैं।
- यहाँ पर शिव और गंगा की पूजा की जाती है, और दीप जलाने से धार्मिक शांति और सुख की कामना की जाती है।
पञ्चाङ्ग कैलेण्डर 02 Dec 2024 (उज्जैन)
आज का पञ्चाङ्ग
दिनांक: 2024-12-02
मास: मार्गशीर्ष
दिन: सोमवार
पक्ष: शुक्ल पक्ष
तिथि: प्रतिपदा तिथि 12:43 PM तक उपरांत द्वितीया
नक्षत्र: नक्षत्र ज्येष्ठा 03:45 PM तक उपरांत मूल
शुभ मुहूर्त: अभिजीत मुहूर्त - 11:49 AM – 12:31 PM
राहु काल: 8:19 AM – 9:36 AM
यमघंट: 10:53 AM – 12:10 PM
शक संवत: 1946, क्रोधी
विक्रम संवत: 2081, पिंगल
दिशाशूल: पूरब
आज का व्रत त्यौहार: इष्टि