शुभम
सत्य से बड़ा तो ईश्वर भी नहीं
खजुराहो के मंदिर कैसे बनाए गए थे और उनकी अनूठी विशेषताएं क्या हैं?
खजुराहो के मंदिर, भारत के मध्य प्रदेश में स्थित हैं, और यह भारतीय स्थापत्य कला, मूर्तिकला, और सांस्कृतिक धरोहर का अद्भुत उदाहरण प्रस्तुत करते हैं। ये मंदिर चंदेल वंश (10वीं से 12वीं शताब्दी) के दौरान बनाए गए थे और इन्हें यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल का दर्जा प्राप्त है। इन मंदिरों की सबसे खास बात उनकी मूर्तिकला और स्थापत्य शैली है, जो जीवन के विविध पहलुओं को दर्शाती है।
खजुराहो के मंदिर भारतीय स्थापत्य और मूर्तिकला के उत्कर्ष को प्रदर्शित करते हैं। ये न केवल धार्मिक आस्था का केंद्र हैं, बल्कि मानव जीवन, कला, और संस्कृति के विविध पहलुओं का प्रतिबिंब भी हैं। उनकी निर्माण शैली, कलात्मक उत्कृष्टता, और सांस्कृतिक समृद्धि उन्हें विश्व धरोहर में एक महत्वपूर्ण स्थान दिलाती है। खजुराहो के मंदिर भारतीय समाज के भौतिक और आध्यात्मिक संतुलन का प्रतीक हैं और यह हमें हमारे समृद्ध अतीत और सांस्कृतिक धरोहर की झलक प्रदान करते हैं।
1. निर्माण का कालखंड:
- खजुराहो के मंदिर 950 ईस्वी से 1050 ईस्वी के बीच बनाए गए।
- चंदेल राजाओं ने इन मंदिरों का निर्माण अपने साम्राज्य की धार्मिक और सांस्कृतिक महिमा को प्रदर्शित करने के लिए करवाया।
2. निर्माण सामग्री:
- मंदिरों का निर्माण मुख्य रूप से सैंडस्टोन (बलुआ पत्थर) से किया गया है, जो खजुराहो के आसपास के क्षेत्र से प्राप्त किया गया।
- पत्थरों को जोड़ने के लिए चूने या गारे का उपयोग नहीं किया गया; पत्थरों को सटीकता से काटकर इंटरलॉकिंग तकनीक से जोड़ा गया।
3. वास्तुकला शैली:
- ये मंदिर नागरा स्थापत्य शैली में बनाए गए हैं, जिसमें ऊँचे शिखर और जटिल मूर्तिकला सजावट प्रमुख हैं।
- मंदिरों के शिखर (विमान) का डिज़ाइन पर्वत की तरह है, जो ईश्वर की ओर उठने का प्रतीक है।
4. निर्माण प्रक्रिया:
- मंदिर निर्माण में कई कारीगरों, मूर्तिकारों, और वास्तुशिल्पियों ने मिलकर काम किया।
- पत्थरों को तराशने के बाद एकत्र किया गया और फिर जटिल नक्काशी और सजावट की गई।
1. मूर्ति कला:
- खजुराहो के मंदिर अपनी अद्वितीय और विस्तृत मूर्तिकला के लिए प्रसिद्ध हैं। इन मूर्तियों में देवता, अप्सराएँ, मिथुन (जोड़े), साधारण लोग, और पौराणिक जीव दिखाए गए हैं।
- मूर्तियाँ सामाजिक जीवन, धार्मिक अनुष्ठान, प्रकृति, और कामुकता का चित्रण करती हैं।
- कामुक मूर्तियाँ (कामशास्त्र पर आधारित) मानव जीवन के सृजन और सौंदर्य को दर्शाती हैं और इसे आध्यात्मिक अनुभव से जोड़ती हैं।
2. विविध विषयों का समावेश:
- मूर्तियों में न केवल धार्मिक कथाएँ बल्कि संगीत, नृत्य, प्रेम, युद्ध, और दिन-प्रतिदिन की गतिविधियों को भी दर्शाया गया है।
- इन मूर्तियों से यह पता चलता है कि खजुराहो के समाज में कला, संस्कृति और जीवन के विभिन्न पहलुओं का गहरा महत्व था।
3. नागरा शैली का अनुपम उदाहरण:
- मंदिरों के शिखर, जिन्हें शिखर या विमान कहते हैं, बेहद ऊंचे और सुसज्जित हैं।
- मुख्य गर्भगृह (जहाँ देवता की मूर्ति स्थित होती है) के ऊपर सबसे ऊँचा शिखर होता है, जो ब्रह्मांडीय ऊर्जा के केंद्र को दर्शाता है।
4. तीन समूहों में विभाजन:
- खजुराहो के मंदिरों को तीन समूहों में विभाजित किया गया है:
- पश्चिमी समूह: इनमें कंदरिया महादेव मंदिर, लक्ष्मण मंदिर और विश्वनाथ मंदिर शामिल हैं।
- पूर्वी समूह: इनमें जैन मंदिर प्रमुख हैं, जैसे पार्श्वनाथ मंदिर।
- दक्षिणी समूह: इनमें छोटे मंदिर शामिल हैं, जैसे चतुर्भुज मंदिर।
5. धार्मिक विविधता:
- खजुराहो के मंदिरों में हिंदू और जैन दोनों धर्मों के मंदिर हैं, जो उस समय की धार्मिक सहिष्णुता और सांस्कृतिक समृद्धि को दर्शाते हैं।
- शिव, विष्णु, और देवी दुर्गा के साथ-साथ जैन तीर्थंकरों की मूर्तियाँ यहाँ देखी जा सकती हैं।
6. प्राकृतिक और वास्तुशिल्पीय सामंजस्य:
- मंदिरों को इस तरह डिज़ाइन किया गया है कि वे आसपास की प्राकृतिक सुंदरता और वातावरण के साथ सामंजस्य स्थापित करें।
- मंदिरों के आसपास बगीचे और तालाब हैं, जो उनकी सुंदरता को बढ़ाते हैं।
1. कंदरिया महादेव मंदिर:
- यह खजुराहो के सबसे बड़े और सुंदर मंदिरों में से एक है।
- इसकी ऊंचाई 31 मीटर है और इसमें शिव की पूजा होती है।
- इसमें 800 से अधिक मूर्तियाँ हैं, जिनमें देवताओं, अप्सराओं, और प्रेम दृश्यों का चित्रण है।
2. लक्ष्मण मंदिर:
- यह मंदिर विष्णु को समर्पित है और इसका शिखर स्थापत्य कला का उत्कृष्ट उदाहरण है।
- यहाँ रामायण और महाभारत की कथाओं का चित्रण देखने को मिलता है।
3. पार्श्वनाथ मंदिर:
- यह जैन मंदिर खजुराहो के सबसे बड़े जैन मंदिरों में से एक है।
- यहाँ जैन तीर्थंकरों की मूर्तियाँ और शिक्षाएँ उकेरी गई हैं।
4. देवी जगदंबी मंदिर:
- यह मंदिर देवी दुर्गा को समर्पित है और इसकी मूर्तियाँ देवी की विभिन्न रूपों को दर्शाती हैं।
5. चतुर्भुज मंदिर:
- यह मंदिर विष्णु के चतुर्भुज रूप को समर्पित है और इसके गर्भगृह में भगवान विष्णु की मूर्ति स्थित है।
1. धार्मिक केंद्र:
- ये मंदिर चंदेल वंश के धार्मिक विश्वास और भगवान शिव, विष्णु, और जैन तीर्थंकरों के प्रति उनकी श्रद्धा को दर्शाते हैं।
2. सांस्कृतिक धरोहर:
- मंदिरों की मूर्तियाँ और नक्काशी उस समय की सामाजिक और सांस्कृतिक जीवनशैली का प्रमाण देती हैं।
- खजुराहो का स्थापत्य और मूर्तिकला भारतीय कला के उत्कर्ष का प्रतीक है।
3. पर्यटन स्थल:
- आज, खजुराहो भारतीय और विदेशी पर्यटकों के लिए एक प्रमुख आकर्षण है। यह भारतीय संस्कृति, इतिहास, और कला को समझने का माध्यम है।
4. काम और धर्म का संतुलन:
- खजुराहो की मूर्तियों में जीवन के भौतिक और आध्यात्मिक पहलुओं का संतुलन देखने को मिलता है। कामुक मूर्तियाँ जीवन के सृजन और सौंदर्य को धार्मिक दृष्टिकोण से जोड़ती हैं।
खजुराहो के मंदिर भारतीय स्थापत्य और मूर्तिकला के उत्कर्ष को प्रदर्शित करते हैं। ये न केवल धार्मिक आस्था का केंद्र हैं, बल्कि मानव जीवन, कला, और संस्कृति के विविध पहलुओं का प्रतिबिंब भी हैं। उनकी निर्माण शैली, कलात्मक उत्कृष्टता, और सांस्कृतिक समृद्धि उन्हें विश्व धरोहर में एक महत्वपूर्ण स्थान दिलाती है। खजुराहो के मंदिर भारतीय समाज के भौतिक और आध्यात्मिक संतुलन का प्रतीक हैं और यह हमें हमारे समृद्ध अतीत और सांस्कृतिक धरोहर की झलक प्रदान करते हैं।
खजुराहो के मंदिरों का निर्माण
1. निर्माण का कालखंड:
- खजुराहो के मंदिर 950 ईस्वी से 1050 ईस्वी के बीच बनाए गए।
- चंदेल राजाओं ने इन मंदिरों का निर्माण अपने साम्राज्य की धार्मिक और सांस्कृतिक महिमा को प्रदर्शित करने के लिए करवाया।
2. निर्माण सामग्री:
- मंदिरों का निर्माण मुख्य रूप से सैंडस्टोन (बलुआ पत्थर) से किया गया है, जो खजुराहो के आसपास के क्षेत्र से प्राप्त किया गया।
- पत्थरों को जोड़ने के लिए चूने या गारे का उपयोग नहीं किया गया; पत्थरों को सटीकता से काटकर इंटरलॉकिंग तकनीक से जोड़ा गया।
3. वास्तुकला शैली:
- ये मंदिर नागरा स्थापत्य शैली में बनाए गए हैं, जिसमें ऊँचे शिखर और जटिल मूर्तिकला सजावट प्रमुख हैं।
- मंदिरों के शिखर (विमान) का डिज़ाइन पर्वत की तरह है, जो ईश्वर की ओर उठने का प्रतीक है।
4. निर्माण प्रक्रिया:
- मंदिर निर्माण में कई कारीगरों, मूर्तिकारों, और वास्तुशिल्पियों ने मिलकर काम किया।
- पत्थरों को तराशने के बाद एकत्र किया गया और फिर जटिल नक्काशी और सजावट की गई।
खजुराहो के मंदिरों की अनूठी विशेषताएं
1. मूर्ति कला:
- खजुराहो के मंदिर अपनी अद्वितीय और विस्तृत मूर्तिकला के लिए प्रसिद्ध हैं। इन मूर्तियों में देवता, अप्सराएँ, मिथुन (जोड़े), साधारण लोग, और पौराणिक जीव दिखाए गए हैं।
- मूर्तियाँ सामाजिक जीवन, धार्मिक अनुष्ठान, प्रकृति, और कामुकता का चित्रण करती हैं।
- कामुक मूर्तियाँ (कामशास्त्र पर आधारित) मानव जीवन के सृजन और सौंदर्य को दर्शाती हैं और इसे आध्यात्मिक अनुभव से जोड़ती हैं।
2. विविध विषयों का समावेश:
- मूर्तियों में न केवल धार्मिक कथाएँ बल्कि संगीत, नृत्य, प्रेम, युद्ध, और दिन-प्रतिदिन की गतिविधियों को भी दर्शाया गया है।
- इन मूर्तियों से यह पता चलता है कि खजुराहो के समाज में कला, संस्कृति और जीवन के विभिन्न पहलुओं का गहरा महत्व था।
3. नागरा शैली का अनुपम उदाहरण:
- मंदिरों के शिखर, जिन्हें शिखर या विमान कहते हैं, बेहद ऊंचे और सुसज्जित हैं।
- मुख्य गर्भगृह (जहाँ देवता की मूर्ति स्थित होती है) के ऊपर सबसे ऊँचा शिखर होता है, जो ब्रह्मांडीय ऊर्जा के केंद्र को दर्शाता है।
4. तीन समूहों में विभाजन:
- खजुराहो के मंदिरों को तीन समूहों में विभाजित किया गया है:
- पश्चिमी समूह: इनमें कंदरिया महादेव मंदिर, लक्ष्मण मंदिर और विश्वनाथ मंदिर शामिल हैं।
- पूर्वी समूह: इनमें जैन मंदिर प्रमुख हैं, जैसे पार्श्वनाथ मंदिर।
- दक्षिणी समूह: इनमें छोटे मंदिर शामिल हैं, जैसे चतुर्भुज मंदिर।
5. धार्मिक विविधता:
- खजुराहो के मंदिरों में हिंदू और जैन दोनों धर्मों के मंदिर हैं, जो उस समय की धार्मिक सहिष्णुता और सांस्कृतिक समृद्धि को दर्शाते हैं।
- शिव, विष्णु, और देवी दुर्गा के साथ-साथ जैन तीर्थंकरों की मूर्तियाँ यहाँ देखी जा सकती हैं।
6. प्राकृतिक और वास्तुशिल्पीय सामंजस्य:
- मंदिरों को इस तरह डिज़ाइन किया गया है कि वे आसपास की प्राकृतिक सुंदरता और वातावरण के साथ सामंजस्य स्थापित करें।
- मंदिरों के आसपास बगीचे और तालाब हैं, जो उनकी सुंदरता को बढ़ाते हैं।
प्रमुख मंदिर और उनकी विशेषताएँ
1. कंदरिया महादेव मंदिर:
- यह खजुराहो के सबसे बड़े और सुंदर मंदिरों में से एक है।
- इसकी ऊंचाई 31 मीटर है और इसमें शिव की पूजा होती है।
- इसमें 800 से अधिक मूर्तियाँ हैं, जिनमें देवताओं, अप्सराओं, और प्रेम दृश्यों का चित्रण है।
2. लक्ष्मण मंदिर:
- यह मंदिर विष्णु को समर्पित है और इसका शिखर स्थापत्य कला का उत्कृष्ट उदाहरण है।
- यहाँ रामायण और महाभारत की कथाओं का चित्रण देखने को मिलता है।
3. पार्श्वनाथ मंदिर:
- यह जैन मंदिर खजुराहो के सबसे बड़े जैन मंदिरों में से एक है।
- यहाँ जैन तीर्थंकरों की मूर्तियाँ और शिक्षाएँ उकेरी गई हैं।
4. देवी जगदंबी मंदिर:
- यह मंदिर देवी दुर्गा को समर्पित है और इसकी मूर्तियाँ देवी की विभिन्न रूपों को दर्शाती हैं।
5. चतुर्भुज मंदिर:
- यह मंदिर विष्णु के चतुर्भुज रूप को समर्पित है और इसके गर्भगृह में भगवान विष्णु की मूर्ति स्थित है।
खजुराहो के मंदिरों का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व
1. धार्मिक केंद्र:
- ये मंदिर चंदेल वंश के धार्मिक विश्वास और भगवान शिव, विष्णु, और जैन तीर्थंकरों के प्रति उनकी श्रद्धा को दर्शाते हैं।
2. सांस्कृतिक धरोहर:
- मंदिरों की मूर्तियाँ और नक्काशी उस समय की सामाजिक और सांस्कृतिक जीवनशैली का प्रमाण देती हैं।
- खजुराहो का स्थापत्य और मूर्तिकला भारतीय कला के उत्कर्ष का प्रतीक है।
3. पर्यटन स्थल:
- आज, खजुराहो भारतीय और विदेशी पर्यटकों के लिए एक प्रमुख आकर्षण है। यह भारतीय संस्कृति, इतिहास, और कला को समझने का माध्यम है।
4. काम और धर्म का संतुलन:
- खजुराहो की मूर्तियों में जीवन के भौतिक और आध्यात्मिक पहलुओं का संतुलन देखने को मिलता है। कामुक मूर्तियाँ जीवन के सृजन और सौंदर्य को धार्मिक दृष्टिकोण से जोड़ती हैं।
पञ्चाङ्ग कैलेण्डर 03 Dec 2024 (उज्जैन)
आज का पञ्चाङ्ग
दिनांक: 2024-12-03
मास: मार्गशीर्ष
दिन: मंगलवार
पक्ष: शुक्ल पक्ष
तिथि: द्वितीया तिथि 01:09 PM तक उपरांत तृतीया
नक्षत्र: नक्षत्र मूल 04:41 PM तक उपरांत पूर्वाषाढ़ा
शुभ मुहूर्त: अभिजीत मुहूर्त - 11:50 AM – 12:31 PM
राहु काल: 2:45 PM – 4:02 PM
यमघंट: 9:36 AM – 10:53 AM
शक संवत: 1946, क्रोधी
विक्रम संवत: 2081, पिंगल
दिशाशूल: उत्तर
आज का व्रत त्यौहार: