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सत्य से बड़ा तो ईश्‍वर भी नहीं

सनातन धर्म में सहिष्णुता का क्या महत्व है?

सनातन धर्म में सहिष्णुता (tolerance) को अत्यंत महत्वपूर्ण माना गया है। यह धर्म अपने आप में विविधता और बहुलता को आत्मसात करता है, और हर व्यक्ति के विचारों, विश्वासों, और जीवन के तरीकों का सम्मान करता है। सहिष्णुता को समझने और अपनाने के लिए सनातन धर्म में कई शिक्षाएँ और सिद्धांत मौजूद हैं।

सहिष्णुता केवल सनातन धर्म का एक गुण नहीं है, बल्कि यह इसकी आत्मा का हिस्सा है। यह गुण हमें सिखाता है कि हम दूसरों के विचारों और भावनाओं का सम्मान करें और मानवता की एकता को समझें। जब हम सहिष्णुता को अपनाते हैं, तो हम न केवल अपनी आध्यात्मिक उन्नति करते हैं, बल्कि समाज में भी शांति और सद्भाव का संचार करते हैं।

1. सभी धर्मों का सम्मान:


सनातन धर्म की मान्यता है कि "सत्य एक है, परंतु इसे अलग-अलग तरीकों से देखा और समझा जाता है" (ऋग्वेद: "एकं सद्विप्रा बहुधा वदंति")। इसका अर्थ है कि हर धर्म और विश्वास का अपना स्थान और महत्व है। यह विचार सहिष्णुता का मूल आधार है।

2. आत्मा की समानता:


गीता और उपनिषदों में बताया गया है कि हर जीव में आत्मा एक ही है। यह अद्वैत दर्शन इस विचार को सुदृढ़ करता है कि हम सब समान हैं, और किसी के प्रति द्वेष या असहिष्णुता रखने का कोई कारण नहीं है।

3. अहिंसा और करुणा:


महात्मा गांधी के "अहिंसा" के सिद्धांत सनातन धर्म से प्रेरित हैं। अहिंसा का अर्थ केवल शारीरिक हिंसा से बचना नहीं, बल्कि मानसिक और भावनात्मक हिंसा से भी बचना है। सहिष्णुता, इस संदर्भ में, एक ऐसा गुण है जो दूसरों के विचारों और विश्वासों को शांतिपूर्ण ढंग से स्वीकार करने की प्रेरणा देता है।

4. धर्म की व्यापकता:


सनातन धर्म में व्यक्तिगत आध्यात्मिकता पर जोर दिया गया है। हर व्यक्ति को अपनी आध्यात्मिक यात्रा तय करने की स्वतंत्रता है। यह स्वतंत्रता तभी संभव है जब सहिष्णुता हो और दूसरों की स्वतंत्रता का सम्मान किया जाए।

5. सामाजिक सौहार्द:


सहिष्णुता समाज में शांति और सद्भाव बनाए रखने में सहायक है। सनातन धर्म में विविध परंपराओं, रीति-रिवाजों, और पंथों को स्वीकार किया गया है। यह सहिष्णुता ही है जिसने इसे हजारों वर्षों से जीवित रखा है।

6. सह-अस्तित्व की भावना:


सनातन धर्म का यह दर्शन है कि हर जीव एक विशाल ब्रह्मांडीय परिवार का हिस्सा है ("वसुधैव कुटुंबकम्")। सहिष्णुता इस परिवार की नींव है, क्योंकि यह विचारधारा दूसरों को स्वीकार करने और उनके साथ शांतिपूर्वक रहने को प्रोत्साहित करती है।
पञ्चाङ्ग कैलेण्डर 03 Dec 2024 (उज्जैन)

आज का पञ्चाङ्ग

दिनांक: 2024-12-03
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