शुभम
सत्य से बड़ा तो ईश्वर भी नहीं
सनातन धर्म में अहिंसा का क्या महत्व है?
सनातन धर्म में अहिंसा को एक महत्वपूर्ण और पवित्र सिद्धांत माना गया है। यह केवल शारीरिक हिंसा से बचने का संदेश नहीं देता, बल्कि विचार, वाणी और कर्म में किसी भी प्रकार की हिंसा से दूर रहने की शिक्षा देता है। अहिंसा का उद्देश्य मानव और सभी जीवों के प्रति करुणा, सहिष्णुता और प्रेम का भाव विकसित करना है।
सनातन धर्म में अहिंसा केवल एक नैतिक सिद्धांत नहीं, बल्कि एक जीवन शैली है। यह व्यक्ति, समाज और पर्यावरण के बीच संतुलन और सामंजस्य स्थापित करने का मार्ग प्रदान करती है। अहिंसा का पालन करना केवल धर्म का पालन करना नहीं, बल्कि एक ऐसा मार्ग अपनाना है जो सभी प्राणियों के प्रति प्रेम, दया और करुणा का प्रतीक है। "अहिंसा परमो धर्मः" का संदेश आज भी उतना ही प्रासंगिक है जितना प्राचीन समय में था।
- अहिंसा का शाब्दिक अर्थ है "हिंसा न करना।"
- इसका विस्तारिक अर्थ है किसी भी प्राणी को शारीरिक, मानसिक, भावनात्मक, या किसी अन्य प्रकार की चोट न पहुंचाना।
- यह केवल कर्म में ही नहीं, बल्कि विचार और वाणी में भी अहिंसक रहने की बात करता है।
1. ऋग्वेद:
- सभी प्राणियों के प्रति करुणा और सहानुभूति का भाव रखने का निर्देश।
- "सर्वे भवंतु सुखिनः" का संदेश, जिसका अर्थ है कि सभी प्राणी सुखी हों।
2. अथर्ववेद:
- सभी जीवों के साथ शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व की बात कही गई है।
3. महाभारत:
- "अहिंसा परमो धर्मः" (अहिंसा सबसे बड़ा धर्म है)।
- यह संदेश सभी जीवों के प्रति करुणा और प्रेम का आदर्श स्थापित करता है।
4. भगवद्गीता:
- श्रीकृष्ण ने अहिंसा को एक आदर्श गुण के रूप में वर्णित किया है।
- "अहिंसा" को धार्मिकता, सदाचार, और आत्मसंयम का प्रतीक बताया गया है।
5. मनुस्मृति:
- मनु ने अहिंसा को जीवन जीने का सबसे बड़ा नैतिक सिद्धांत बताया है।
1. धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टि से:
- अहिंसा का पालन करने से आत्मा शुद्ध होती है।
- यह आत्म-साक्षात्कार और मोक्ष प्राप्ति का मार्ग है।
- सभी जीवों में ईश्वर का अंश मानकर उनका आदर करना अहिंसा का आधार है।
2. सामाजिक दृष्टि से:
- अहिंसा से समाज में शांति और सह-अस्तित्व की भावना विकसित होती है।
- यह युद्ध, संघर्ष और हिंसा को समाप्त करने का मार्ग है।
3. नैतिक दृष्टि से:
- अहिंसा का पालन करने वाला व्यक्ति दूसरों के प्रति दया, करुणा और प्रेम का भाव रखता है।
- यह नैतिकता और सदाचार का आधार है।
4. प्राकृतिक दृष्टि से:
- अहिंसा के सिद्धांत से प्रकृति और पर्यावरण का संरक्षण संभव है।
- सभी जीवों के साथ सह-अस्तित्व का भाव प्रकृति के संतुलन को बनाए रखने में मदद करता है।
- सनातन धर्म में सभी जीवों को पवित्र माना गया है।
- गाय, कुत्ते, पक्षी, और अन्य पशुओं को विशेष सम्मान दिया गया है।
- यज्ञों और धार्मिक अनुष्ठानों में यह सुनिश्चित किया जाता था कि किसी भी जीव को हानि न पहुंचे।
- शाकाहार को प्रोत्साहित करना अहिंसा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
1. विचारों में अहिंसा:
- दूसरों के प्रति द्वेष, ईर्ष्या और क्रोध से बचना।
- सभी के लिए शुभ विचार रखना।
2. वाणी में अहिंसा:
- कटु और अपमानजनक शब्दों का प्रयोग न करना।
- दूसरों की भावनाओं का सम्मान करना।
3. कर्म में अहिंसा:
- शारीरिक रूप से किसी को चोट न पहुंचाना।
- किसी भी प्रकार के हिंसक कृत्य से दूर रहना।
4. जीवन शैली में अहिंसा:
- शाकाहार अपनाना और पर्यावरण संरक्षण के प्रति संवेदनशील रहना।
- पशुओं का शोषण न करना।
1. महात्मा गांधी:
- उन्होंने अहिंसा को सत्याग्रह का आधार बनाया।
- "अहिंसा ही सबसे बड़ा धर्म है" का पालन करते हुए स्वतंत्रता संग्राम लड़ा।
2. महावीर स्वामी:
- जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर महावीर स्वामी ने अहिंसा को सर्वोच्च धर्म बताया।
3. भगवान बुद्ध:
- गौतम बुद्ध ने अहिंसा और करुणा का संदेश दिया।
4. संत तुलसीदास:
- उन्होंने रामचरितमानस में लिखा, "पर हित सरिस धर्म नहिं भाई।"
1. सामाजिक शांति:
- अहिंसा के सिद्धांत से युद्ध, आतंकवाद और हिंसा जैसी समस्याओं का समाधान किया जा सकता है।
2. पर्यावरण संरक्षण:
- पशु संरक्षण और प्रकृति के प्रति संवेदनशीलता से पर्यावरण संतुलन बनाए रखा जा सकता है।
3. मानवाधिकार:
- अहिंसा मानवाधिकारों को बढ़ावा देती है और सभी के प्रति समानता और सम्मान का भाव रखती है।
सनातन धर्म में अहिंसा केवल एक नैतिक सिद्धांत नहीं, बल्कि एक जीवन शैली है। यह व्यक्ति, समाज और पर्यावरण के बीच संतुलन और सामंजस्य स्थापित करने का मार्ग प्रदान करती है। अहिंसा का पालन करना केवल धर्म का पालन करना नहीं, बल्कि एक ऐसा मार्ग अपनाना है जो सभी प्राणियों के प्रति प्रेम, दया और करुणा का प्रतीक है। "अहिंसा परमो धर्मः" का संदेश आज भी उतना ही प्रासंगिक है जितना प्राचीन समय में था।
अहिंसा का अर्थ और परिभाषा
- अहिंसा का शाब्दिक अर्थ है "हिंसा न करना।"
- इसका विस्तारिक अर्थ है किसी भी प्राणी को शारीरिक, मानसिक, भावनात्मक, या किसी अन्य प्रकार की चोट न पहुंचाना।
- यह केवल कर्म में ही नहीं, बल्कि विचार और वाणी में भी अहिंसक रहने की बात करता है।
वेदों और धर्मग्रंथों में अहिंसा का उल्लेख
1. ऋग्वेद:
- सभी प्राणियों के प्रति करुणा और सहानुभूति का भाव रखने का निर्देश।
- "सर्वे भवंतु सुखिनः" का संदेश, जिसका अर्थ है कि सभी प्राणी सुखी हों।
2. अथर्ववेद:
- सभी जीवों के साथ शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व की बात कही गई है।
3. महाभारत:
- "अहिंसा परमो धर्मः" (अहिंसा सबसे बड़ा धर्म है)।
- यह संदेश सभी जीवों के प्रति करुणा और प्रेम का आदर्श स्थापित करता है।
4. भगवद्गीता:
- श्रीकृष्ण ने अहिंसा को एक आदर्श गुण के रूप में वर्णित किया है।
- "अहिंसा" को धार्मिकता, सदाचार, और आत्मसंयम का प्रतीक बताया गया है।
5. मनुस्मृति:
- मनु ने अहिंसा को जीवन जीने का सबसे बड़ा नैतिक सिद्धांत बताया है।
अहिंसा का महत्व
1. धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टि से:
- अहिंसा का पालन करने से आत्मा शुद्ध होती है।
- यह आत्म-साक्षात्कार और मोक्ष प्राप्ति का मार्ग है।
- सभी जीवों में ईश्वर का अंश मानकर उनका आदर करना अहिंसा का आधार है।
2. सामाजिक दृष्टि से:
- अहिंसा से समाज में शांति और सह-अस्तित्व की भावना विकसित होती है।
- यह युद्ध, संघर्ष और हिंसा को समाप्त करने का मार्ग है।
3. नैतिक दृष्टि से:
- अहिंसा का पालन करने वाला व्यक्ति दूसरों के प्रति दया, करुणा और प्रेम का भाव रखता है।
- यह नैतिकता और सदाचार का आधार है।
4. प्राकृतिक दृष्टि से:
- अहिंसा के सिद्धांत से प्रकृति और पर्यावरण का संरक्षण संभव है।
- सभी जीवों के साथ सह-अस्तित्व का भाव प्रकृति के संतुलन को बनाए रखने में मदद करता है।
अहिंसा और जीव दया
- सनातन धर्म में सभी जीवों को पवित्र माना गया है।
- गाय, कुत्ते, पक्षी, और अन्य पशुओं को विशेष सम्मान दिया गया है।
- यज्ञों और धार्मिक अनुष्ठानों में यह सुनिश्चित किया जाता था कि किसी भी जीव को हानि न पहुंचे।
- शाकाहार को प्रोत्साहित करना अहिंसा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
अहिंसा का पालन कैसे करें?
1. विचारों में अहिंसा:
- दूसरों के प्रति द्वेष, ईर्ष्या और क्रोध से बचना।
- सभी के लिए शुभ विचार रखना।
2. वाणी में अहिंसा:
- कटु और अपमानजनक शब्दों का प्रयोग न करना।
- दूसरों की भावनाओं का सम्मान करना।
3. कर्म में अहिंसा:
- शारीरिक रूप से किसी को चोट न पहुंचाना।
- किसी भी प्रकार के हिंसक कृत्य से दूर रहना।
4. जीवन शैली में अहिंसा:
- शाकाहार अपनाना और पर्यावरण संरक्षण के प्रति संवेदनशील रहना।
- पशुओं का शोषण न करना।
अहिंसा और धर्म के महान संत
1. महात्मा गांधी:
- उन्होंने अहिंसा को सत्याग्रह का आधार बनाया।
- "अहिंसा ही सबसे बड़ा धर्म है" का पालन करते हुए स्वतंत्रता संग्राम लड़ा।
2. महावीर स्वामी:
- जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर महावीर स्वामी ने अहिंसा को सर्वोच्च धर्म बताया।
3. भगवान बुद्ध:
- गौतम बुद्ध ने अहिंसा और करुणा का संदेश दिया।
4. संत तुलसीदास:
- उन्होंने रामचरितमानस में लिखा, "पर हित सरिस धर्म नहिं भाई।"
आधुनिक संदर्भ में अहिंसा
1. सामाजिक शांति:
- अहिंसा के सिद्धांत से युद्ध, आतंकवाद और हिंसा जैसी समस्याओं का समाधान किया जा सकता है।
2. पर्यावरण संरक्षण:
- पशु संरक्षण और प्रकृति के प्रति संवेदनशीलता से पर्यावरण संतुलन बनाए रखा जा सकता है।
3. मानवाधिकार:
- अहिंसा मानवाधिकारों को बढ़ावा देती है और सभी के प्रति समानता और सम्मान का भाव रखती है।
पञ्चाङ्ग कैलेण्डर 03 Dec 2024 (उज्जैन)
आज का पञ्चाङ्ग
दिनांक: 2024-12-03
मास: मार्गशीर्ष
दिन: मंगलवार
पक्ष: शुक्ल पक्ष
तिथि: द्वितीया तिथि 01:09 PM तक उपरांत तृतीया
नक्षत्र: नक्षत्र मूल 04:41 PM तक उपरांत पूर्वाषाढ़ा
शुभ मुहूर्त: अभिजीत मुहूर्त - 11:50 AM – 12:31 PM
राहु काल: 2:45 PM – 4:02 PM
यमघंट: 9:36 AM – 10:53 AM
शक संवत: 1946, क्रोधी
विक्रम संवत: 2081, पिंगल
दिशाशूल: उत्तर
आज का व्रत त्यौहार: