Account
Categories
Shubham
शुभम
सत्य से बड़ा तो ईश्‍वर भी नहीं

सनातन धर्म में पर्यावरण संरक्षण का क्या महत्व है?

सनातन धर्म में पर्यावरण संरक्षण को अत्यंत महत्वपूर्ण और पवित्र कर्तव्य माना गया है। प्रकृति और पर्यावरण को ईश्वर की रचना मानते हुए इसका आदर और संरक्षण करना सनातन धर्म के मूल सिद्धांतों में से एक है। वेद, पुराण, उपनिषद और अन्य ग्रंथों में प्रकृति और पर्यावरण की रक्षा को लेकर कई शिक्षाएं दी गई हैं। सनातन धर्म में यह विश्वास है कि मानव, प्रकृति और ईश्वर एक दूसरे से जुड़े हुए हैं और इनके बीच सामंजस्य बनाए रखना सभी के लिए आवश्यक है।

सनातन धर्म प्रकृति और पर्यावरण को पूजनीय मानता है। यह सिखाता है कि प्रकृति का संरक्षण करना न केवल हमारा कर्तव्य है, बल्कि यह आध्यात्मिक उन्नति का एक महत्वपूर्ण मार्ग भी है। "प्रकृति हमारी माता है" इस सिद्धांत के आधार पर पर्यावरण संरक्षण के प्रयास किए जाने चाहिए। आधुनिक युग में, सनातन धर्म की शिक्षाएं हमें एक संतुलित और पर्यावरण-अनुकूल जीवन जीने की प्रेरणा देती हैं।

सनातन धर्म में पर्यावरण संरक्षण के प्रमुख सिद्धांत


1. प्रकृति की पूजा का महत्व:
- सनातन धर्म में प्रकृति को देवत्व का दर्जा दिया गया है।
- पृथ्वी (भूमि), वायु (हवा), जल (पानी), अग्नि (आग), और आकाश को पंचमहाभूत कहा गया है, जो सृष्टि के आधार हैं।
- इन तत्वों की पूजा और संरक्षण को धार्मिक कर्तव्य माना गया है।

2. वृक्ष और वनस्पति का महत्व:
- वृक्षों को पवित्र माना गया और उन्हें जीवनदायी कहा गया है।
- "वृक्षों की कटाई नहीं करनी चाहिए" जैसी शिक्षाएं धर्मग्रंथों में मिलती हैं।
- पीपल, तुलसी, बरगद जैसे वृक्षों को विशेष रूप से पूजनीय माना गया है।
- वृक्षवल्ली अमृतस्य पुत्रा: इसका अर्थ है, वृक्ष अमृत के समान हैं।

3. पवित्र नदियों का संरक्षण:
- गंगा, यमुना, सरस्वती, नर्मदा आदि नदियों को मां के रूप में पूजा जाता है।
- नदियों को स्वच्छ और निर्मल बनाए रखना धर्म का हिस्सा है।

4. पशु संरक्षण:
- गाय को पवित्र माना गया और उसकी सेवा को धर्म बताया गया।
- अन्य जीव-जंतुओं को भी ईश्वर की रचना मानते हुए उनका संरक्षण और देखभाल करने का आदेश दिया गया है।
- अहिंसा का सिद्धांत पर्यावरण संरक्षण का ही हिस्सा है, जिसमें सभी जीवों के प्रति करुणा और प्रेम का भाव रखा गया है।

5. यज्ञ और पर्यावरण:
- यज्ञ में उपयोग किए जाने वाले जड़ी-बूटियां और औषधियां पर्यावरण को शुद्ध करती हैं।
- यह वायुमंडल को स्वच्छ बनाए रखने का एक धार्मिक उपाय था।

वेदों और शास्त्रों में पर्यावरण संरक्षण का उल्लेख


1. ऋग्वेद:
- "पृथ्वी को पवित्र और सुरक्षित रखना हमारी जिम्मेदारी है।"
- "हे पृथ्वी माता, हमें तुम्हारी रक्षा करनी चाहिए जैसे तुम हमारी रक्षा करती हो।"

2. अथर्ववेद:
- "जल को स्वच्छ और सुरक्षित रखना हमारी जिम्मेदारी है।"
- "पौधों और वृक्षों को काटना पाप माना गया है।"

3. मनुस्मृति:
- "जो व्यक्ति जल, वायु और वनस्पति को दूषित करता है, उसे दंड दिया जाना चाहिए।"
- "वृक्ष लगाने को पुण्य कार्य बताया गया है।"

4. भागवत पुराण:
- पर्यावरण को ईश्वर का स्वरूप मानते हुए इसे संरक्षित करने की शिक्षा दी गई है।

पर्यावरण संरक्षण के लिए धार्मिक अनुष्ठान


1. वृक्षारोपण (वृक्ष लगाना):
- धार्मिक कार्यों के रूप में वृक्षारोपण को बढ़ावा दिया गया।
- जन्म, विवाह और अन्य शुभ अवसरों पर वृक्ष लगाने की परंपरा है।

2. गोवर्धन पूजा:
- गोवर्धन पर्वत को प्रकृति के सम्मान का प्रतीक मानकर पूजा की जाती है।

3. त्योहार और प्रकृति:
- मकर संक्रांति, छठ पूजा जैसे त्योहार सूर्य, नदी और प्रकृति के प्रति आभार प्रकट करने के लिए मनाए जाते हैं।

4. तुलसी पूजा:
- तुलसी का पौधा हर घर में लगाया जाता है और उसकी पूजा की जाती है। इसे पर्यावरण की शुद्धता और स्वास्थ्य के लिए उपयोगी माना गया है।

पर्यावरण संरक्षण और कर्म सिद्धांत


सनातन धर्म में यह मान्यता है कि हम जो प्रकृति के साथ करते हैं, उसका प्रभाव हम पर और हमारी आने वाली पीढ़ियों पर पड़ता है।
- पृथ्वी को नुकसान पहुंचाना पाप माना गया है।
- प्रकृति की रक्षा करने से पुण्य मिलता है और जीवन में समृद्धि आती है।

आधुनिक युग में सनातन धर्म और पर्यावरण संरक्षण


1. वृक्षारोपण अभियान:
- धार्मिक संगठनों द्वारा वृक्षारोपण को बढ़ावा दिया जा रहा है।
2. नदी संरक्षण अभियान:
- गंगा, यमुना आदि नदियों की सफाई और संरक्षण के लिए धार्मिक और सामाजिक प्रयास किए जा रहे हैं।
3. प्लास्टिक और प्रदूषण के खिलाफ आंदोलन:
- पर्यावरणीय संकटों का समाधान ढूंढने के लिए सनातन धर्म के सिद्धांतों का उपयोग किया जा रहा है।
पञ्चाङ्ग कैलेण्डर 03 Dec 2024 (उज्जैन)

आज का पञ्चाङ्ग

दिनांक: 2024-12-03
मास: मार्गशीर्ष
दिन: मंगलवार
पक्ष: शुक्ल पक्ष
तिथि: द्वितीया तिथि 01:09 PM तक उपरांत तृतीया
नक्षत्र: नक्षत्र मूल 04:41 PM तक उपरांत पूर्वाषाढ़ा
शुभ मुहूर्त: अभिजीत मुहूर्त - 11:50 AM – 12:31 PM
राहु काल: 2:45 PM – 4:02 PM
यमघंट: 9:36 AM – 10:53 AM
शक संवत: 1946, क्रोधी
विक्रम संवत: 2081, पिंगल
दिशाशूल: उत्तर
आज का व्रत त्यौहार: