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कौन-कौन से देवता देव दिवाली के दिन विशेष पूजन के पात्र होते हैं?

देव दिवाली के दिन विशेष रूप से भगवान शिव और गंगा माता की पूजा की जाती है, लेकिन अन्य देवताओं के भी पूजन का महत्व होता है। देव दिवाली का मुख्य उद्देश्य भगवान शिव, गंगा और अन्य देवताओं के प्रति श्रद्धा और आभार व्यक्त करना होता है, क्योंकि यह दिन उनके पृथ्वी पर आगमन और दिव्य उपस्थिति का प्रतीक है। आइए जानते हैं कि देव दिवाली के दिन कौन-कौन से देवता विशेष पूजन के पात्र होते हैं:

देव दिवाली के दिन, प्रमुख देवता जो पूजा के पात्र होते हैं, वे हैं भगवान शिव, गंगा माँ, भगवान गणेश, भगवान विष्णु, भगवान सूर्य, और पंच देवता। साथ ही, सभी देवी-देवताओं की पूजा के माध्यम से भक्त धार्मिक शुद्धि, आशीर्वाद, और समृद्धि की कामना करते हैं। इस दिन का मुख्य उद्देश्य दिव्यता की प्राप्ति, पापों का नाश, और परमात्मा से आशीर्वाद प्राप्त करना होता है।

1. भगवान शिव


- भगवान शिव का पूजन देव दिवाली के दिन विशेष रूप से महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि यह दिन उनके गंगा के साथ विवाह और गंगा के पृथ्वी पर अवतरण का प्रतीक है।
- भगवान शिव को आध्यात्मिक ज्ञान, ध्यान, और मोक्ष के प्राप्तकर्ता के रूप में पूजा जाता है।
- इस दिन शिव के लिंग रूप की पूजा की जाती है, और विशेष रूप से भांग, धतूरा, और नंदी को अर्पित किया जाता है।

2. गंगा माँ


- गंगा को हिंदू धर्म में अत्यधिक पवित्र और श्रद्धेय माना जाता है। देव दिवाली के दिन गंगा के पृथ्वी पर अवतरण का उत्सव होता है।
- इस दिन गंगा नदी में दीपदान करने की परंपरा होती है, और गंगा माँ की पूजा करके पापों का नाश और पुण्य की प्राप्ति की जाती है।
- गंगा माँ के प्रति श्रद्धा व्यक्त करने के लिए उनके पवित्र जल का स्नान और अर्चन किया जाता है।

3. भगवान गणेश


- भगवान गणेश का पूजन भी देव दिवाली के दिन विशेष रूप से किया जाता है। गणेश जी को विघ्नहर्ता और सिद्धि के देवता के रूप में पूजा जाता है।
- उनका पूजन सभी शुभ कार्यों के लिए मंगलकारी होता है, और इस दिन उनका आशीर्वाद प्राप्त करने से भक्तों को सकारात्मक ऊर्जा, विघ्नों से मुक्ति, और समृद्धि मिलती है।

4. भगवान विष्णु


- देव दिवाली के दिन भगवान विष्णु की भी पूजा की जाती है, क्योंकि वे सृष्टि के पालनहार माने जाते हैं।
- विष्णु जी का पूजन धार्मिक समृद्धि और आध्यात्मिक शांति की प्राप्ति के लिए किया जाता है।
- इस दिन विशेष रूप से भगवान विष्णु की रूपमूर्ति की पूजा करके भक्त उनका आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।

5. भगवान सूर्य


- भगवान सूर्य का भी देव दिवाली के दिन पूजन होता है, क्योंकि वे प्रकाश और जीवन के स्रोत माने जाते हैं।
- सूर्य देव की पूजा करने से भक्तों को आध्यात्मिक ज्ञान और शक्ति की प्राप्ति होती है।
- सूर्य को अर्घ्य देने और उदीयमान सूर्य की पूजा करने से जीवन में सकारात्मकता और उन्नति की प्राप्ति होती है।

6. देवता और देवीगण (पंच देवता)


- देव दिवाली के दिन पंच देवता के रूप में अन्य प्रमुख देवताओं की पूजा भी की जाती है:
- भगवान इन्द्र, जो आकाश और वर्षा के देवता हैं।
- भगवान ब्रह्मा, जो सृष्टि के रचनाकार हैं।
- माता लक्ष्मी, जो धन, सुख, और समृद्धि की देवी हैं।
- माता पार्वती, जो शक्ति और प्रेम की देवी हैं।
- भगवान कार्तिकेय, जो युद्ध के देवता हैं और भगवान शिव के पुत्र हैं।

इन देवताओं का पूजा के माध्यम से भक्तों को विभिन्न प्रकार की धार्मिक कृपा, आध्यात्मिक उन्नति, और भक्तों की समस्याओं का समाधान मिलता है।

7. नदी, पवित्र स्थान और प्रकृति के देवता


- देव दिवाली का मुख्य उद्देश्य प्रकृति और गंगा नदी को सम्मानित करना है। इस दिन नदी देवता, पवित्र स्थान, और प्राकृतिक तत्व जैसे वायु, जल, प्रकृति देवी की भी पूजा की जाती है।
- इस दिन विशेष रूप से गंगा नदी, यमुना नदी, और अन्य पवित्र जल स्रोतों के प्रति श्रद्धा व्यक्त की जाती है।

8. सभी देवी-देवताओं का पूजन


- देव दिवाली के दिन, विशेष रूप से वाराणसी में, सभी देवी-देवताओं की पूजा की जाती है। यह दिन उन सभी दिव्य शक्तियों के प्रति आभार और श्रद्धा व्यक्त करने का होता है, जो मानवता की भलाई के लिए कार्य करते हैं।
- विशेष रूप से देवताओं के दीप जलाने और आध्यात्मिक जागरण के लिए यह एक महत्वपूर्ण दिन होता है, जिसमें भक्त अपने घरों और मंदिरों में दीप जलाकर आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।
पञ्चाङ्ग कैलेण्डर 03 Dec 2024 (उज्जैन)

आज का पञ्चाङ्ग

दिनांक: 2024-12-03
मास: मार्गशीर्ष
दिन: मंगलवार
पक्ष: शुक्ल पक्ष
तिथि: द्वितीया तिथि 01:09 PM तक उपरांत तृतीया
नक्षत्र: नक्षत्र मूल 04:41 PM तक उपरांत पूर्वाषाढ़ा
शुभ मुहूर्त: अभिजीत मुहूर्त - 11:50 AM – 12:31 PM
राहु काल: 2:45 PM – 4:02 PM
यमघंट: 9:36 AM – 10:53 AM
शक संवत: 1946, क्रोधी
विक्रम संवत: 2081, पिंगल
दिशाशूल: उत्तर
आज का व्रत त्यौहार: