शुभम
सत्य से बड़ा तो ईश्वर भी नहीं
क्या देव दिवाली और कार्तिक पूर्णिमा एक ही दिन पड़ते हैं?
देव दिवाली और कार्तिक पूर्णिमा दो अलग-अलग पर्व हैं, लेकिन इन दोनों का समय अक्सर एक ही दिन पर पड़ता है, खासकर जब कार्तिक माह की पूर्णिमा (पूर्णिमा की रात) देव दिवाली के दिन होती है। हालांकि, यह स्थिति हर साल नहीं होती, क्योंकि कार्तिक पूर्णिमा का दिन प्रत्येक वर्ष कैलेंडर के अनुसार थोड़ा बदल सकता है।
आमतौर पर देव दिवाली और कार्तिक पूर्णिमा एक ही दिन मनाए जाते हैं, लेकिन यह हर साल के हिसाब से तय होता है, और कैलेंडर के अनुसार थोड़ा भिन्न भी हो सकता है।
1. कार्तिक पूर्णिमा: यह हिंदू कैलेंडर के कार्तिक महीने की पूर्णिमा का दिन होता है। यह दिन विशेष रूप से भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी को समर्पित होता है। इस दिन गंगा स्नान, दान पुण्य और पूजा-पाठ का विशेष महत्व होता है। मान्यता है कि इस दिन किए गए पुण्य कर्मों का फल कई गुना बढ़ जाता है।
- यह पर्व हिंदू पंचांग के अनुसार कार्तिक माह की पूर्णिमा को मनाया जाता है, जो आमतौर पर नवंबर में आता है।
- यह दिन विशेष रूप से गंगा स्नान, गंगा पूजा, और दीपदान के लिए प्रसिद्ध है। विशेष रूप से वाराणसी में गंगा नदी के किनारे लाखों दीप जलाए जाते हैं, और इस दिन को गंगा महोत्सव के रूप में मनाया जाता है।
2. देव दिवाली: यह कार्तिक पूर्णिमा के दिन ही मनाया जाता है। इसे 'दीपों का पर्व' भी कहा जाता है। इस दिन देवताओं ने समुद्र मंथन से प्राप्त अमृत का पान किया था। इस पावन अवसर पर देवताओं ने दीपक जलाकर खुशी मनाई थी। इसीलिए इस दिन को देव दिवाली के रूप में मनाया जाता है।
- देव दिवाली कार्तिक माह की पूर्णिमा को मनाई जाती है और इसे विशेष रूप से वाराणसी (बनारस) में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है।
- इस दिन का महत्व भगवान शिव के साथ अन्य देवताओं को समर्पित होता है। माना जाता है कि इस दिन देवताओं ने दीपों की लाइट के साथ अपने आशीर्वाद से पृथ्वी को प्रकाशित किया था। इसलिए इस दिन विशेष रूप से दीप जलाए जाते हैं।
- जब कार्तिक पूर्णिमा का दिन देव दिवाली के साथ मेल खाता है, तब यह दोनों पर्व एक ही दिन मनाए जाते हैं।
- हालांकि, कभी-कभी कार्तिक पूर्णिमा और देव दिवाली के दिन में थोड़ा अंतर हो सकता है, यदि कैलेंडर में कोई बदलाव हो।
- धार्मिक महत्व: दोनों ही त्योहारों का धार्मिक महत्व बहुत गहरा है। इन दिनों पूजा-पाठ करने से व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है।
- आध्यात्मिक महत्व: ये त्योहार हमें आध्यात्मिक रूप से जाग्रत करते हैं और हमें अपने जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने की प्रेरणा देते हैं।
- सांस्कृतिक महत्व: ये त्योहार हमारी संस्कृति का एक अभिन्न अंग हैं और इनका हमारे समाज में बहुत महत्व है।
- गंगा स्नान: इस दिन गंगा नदी में स्नान करने का विशेष महत्व होता है।
- दान पुण्य: इस दिन दान पुण्य करने से व्यक्ति को पुण्य की प्राप्ति होती है।
- दीपदान: इस दिन दीपक जलाकर देवताओं को अर्ध्य दिया जाता है।
- पूजा-पाठ: इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा-पाठ की जाती है।
- देव दिवाली को 'दीपों का पर्व' भी कहा जाता है।
- कार्तिक पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान का विशेष महत्व होता है।
- इस दिन दान पुण्य करने से व्यक्ति को पुण्य की प्राप्ति होती है।
- देव दिवाली और कार्तिक पूर्णिमा दोनों ही त्योहार कार्तिक मास की पूर्णिमा तिथि को आते हैं।
आमतौर पर देव दिवाली और कार्तिक पूर्णिमा एक ही दिन मनाए जाते हैं, लेकिन यह हर साल के हिसाब से तय होता है, और कैलेंडर के अनुसार थोड़ा भिन्न भी हो सकता है।
देव दिवाली और कार्तिक पूर्णिमा का संबंध:
1. कार्तिक पूर्णिमा: यह हिंदू कैलेंडर के कार्तिक महीने की पूर्णिमा का दिन होता है। यह दिन विशेष रूप से भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी को समर्पित होता है। इस दिन गंगा स्नान, दान पुण्य और पूजा-पाठ का विशेष महत्व होता है। मान्यता है कि इस दिन किए गए पुण्य कर्मों का फल कई गुना बढ़ जाता है।
- यह पर्व हिंदू पंचांग के अनुसार कार्तिक माह की पूर्णिमा को मनाया जाता है, जो आमतौर पर नवंबर में आता है।
- यह दिन विशेष रूप से गंगा स्नान, गंगा पूजा, और दीपदान के लिए प्रसिद्ध है। विशेष रूप से वाराणसी में गंगा नदी के किनारे लाखों दीप जलाए जाते हैं, और इस दिन को गंगा महोत्सव के रूप में मनाया जाता है।
2. देव दिवाली: यह कार्तिक पूर्णिमा के दिन ही मनाया जाता है। इसे 'दीपों का पर्व' भी कहा जाता है। इस दिन देवताओं ने समुद्र मंथन से प्राप्त अमृत का पान किया था। इस पावन अवसर पर देवताओं ने दीपक जलाकर खुशी मनाई थी। इसीलिए इस दिन को देव दिवाली के रूप में मनाया जाता है।
- देव दिवाली कार्तिक माह की पूर्णिमा को मनाई जाती है और इसे विशेष रूप से वाराणसी (बनारस) में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है।
- इस दिन का महत्व भगवान शिव के साथ अन्य देवताओं को समर्पित होता है। माना जाता है कि इस दिन देवताओं ने दीपों की लाइट के साथ अपने आशीर्वाद से पृथ्वी को प्रकाशित किया था। इसलिए इस दिन विशेष रूप से दीप जलाए जाते हैं।
क्या देव दिवाली और कार्तिक पूर्णिमा एक ही दिन पर पड़ते हैं?
- जब कार्तिक पूर्णिमा का दिन देव दिवाली के साथ मेल खाता है, तब यह दोनों पर्व एक ही दिन मनाए जाते हैं।
- हालांकि, कभी-कभी कार्तिक पूर्णिमा और देव दिवाली के दिन में थोड़ा अंतर हो सकता है, यदि कैलेंडर में कोई बदलाव हो।
देव दिवाली और कार्तिक पूर्णिमा का महत्व
- धार्मिक महत्व: दोनों ही त्योहारों का धार्मिक महत्व बहुत गहरा है। इन दिनों पूजा-पाठ करने से व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है।
- आध्यात्मिक महत्व: ये त्योहार हमें आध्यात्मिक रूप से जाग्रत करते हैं और हमें अपने जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने की प्रेरणा देते हैं।
- सांस्कृतिक महत्व: ये त्योहार हमारी संस्कृति का एक अभिन्न अंग हैं और इनका हमारे समाज में बहुत महत्व है।
देव दिवाली और कार्तिक पूर्णिमा कैसे मनाई जाती है?
- गंगा स्नान: इस दिन गंगा नदी में स्नान करने का विशेष महत्व होता है।
- दान पुण्य: इस दिन दान पुण्य करने से व्यक्ति को पुण्य की प्राप्ति होती है।
- दीपदान: इस दिन दीपक जलाकर देवताओं को अर्ध्य दिया जाता है।
- पूजा-पाठ: इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा-पाठ की जाती है।
देव दिवाली और कार्तिक पूर्णिमा के कुछ तथ्य
- देव दिवाली को 'दीपों का पर्व' भी कहा जाता है।
- कार्तिक पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान का विशेष महत्व होता है।
- इस दिन दान पुण्य करने से व्यक्ति को पुण्य की प्राप्ति होती है।
- देव दिवाली और कार्तिक पूर्णिमा दोनों ही त्योहार कार्तिक मास की पूर्णिमा तिथि को आते हैं।
पञ्चाङ्ग कैलेण्डर 02 Dec 2024 (उज्जैन)
आज का पञ्चाङ्ग
दिनांक: 2024-12-02
मास: मार्गशीर्ष
दिन: सोमवार
पक्ष: शुक्ल पक्ष
तिथि: प्रतिपदा तिथि 12:43 PM तक उपरांत द्वितीया
नक्षत्र: नक्षत्र ज्येष्ठा 03:45 PM तक उपरांत मूल
शुभ मुहूर्त: अभिजीत मुहूर्त - 11:49 AM – 12:31 PM
राहु काल: 8:19 AM – 9:36 AM
यमघंट: 10:53 AM – 12:10 PM
शक संवत: 1946, क्रोधी
विक्रम संवत: 2081, पिंगल
दिशाशूल: पूरब
आज का व्रत त्यौहार: इष्टि