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देव दिवाली का अन्य भारतीय पर्वों से क्या संबंध है?

देव दिवाली का संबंध कुछ अन्य प्रमुख भारतीय त्योहारों और परंपराओं से भी है, जिनमें दीपावली, गंगा दशहरा, और माघ मेला जैसी विशेषताएँ शामिल हैं। देव दिवाली को विशेष रूप से वाराणसी (बनारस) और अन्य गंगा तटों पर मनाया जाता है, और यह हिन्दू धर्म के कई पौराणिक और आध्यात्मिक सिद्धांतों के साथ जुड़ा हुआ है। इसके साथ ही देव दिवाली के कुछ पहलुओं का संबंध अन्य भारतीय पर्वों से भी होता है, जिनका उद्देश्य धार्मिक शुद्धि, आध्यात्मिक उन्नति, और सकारात्मकता का संचार करना होता है। आइए, हम जानते हैं देव दिवाली का अन्य भारतीय पर्वों से क्या संबंध है।

देव दिवाली का संबंध विभिन्न भारतीय पर्वों से जुड़ा हुआ है, जैसे दीपावली, गंगा दशहरा, महाशिवरात्रि, और कुम्भ मेला आदि। इन पर्वों का उद्देश्य धार्मिक शुद्धि, आध्यात्मिक उन्नति, और सकारात्मकता का संचार करना है। देव दिवाली और अन्य पर्वों में विशेष रूप से दीप जलाने की परंपरा और धार्मिक अनुष्ठान का उद्देश्य जीवन में प्रकाश लाना, बुराई पर अच्छाई की विजय, और परमात्मा से आशीर्वाद प्राप्त करना होता है।

1. दीपावली (दीपली)


- देव दिवाली का संबंध सीधे तौर पर दीपावली से जुड़ा हुआ है।
- दीपावली, जो हिन्दू कैलेंडर के अनुसार कार्तिक माह के अमावस्या को मनाई जाती है, भगवान राम के अयोध्या लौटने और रावण वध के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। यह आध्यात्मिक विजय, अंधकार से प्रकाश और सत्य की जीत का प्रतीक है।
- देव दिवाली दीपावली के 15 दिन बाद मनाई जाती है, और इस दिन की विशेषता यह है कि इसे देवताओं के प्रकाश उत्सव के रूप में मनाया जाता है। देव दिवाली के दिन, विशेष रूप से वाराणसी में, देवता पृथ्वी पर आते हैं, और भक्त उनके स्वागत के लिए दीप जलाते हैं।
- दोनों पर्वों में दीप जलाने की परंपरा समान है, जो धर्म, ज्ञान, और शुभता के प्रतीक होते हैं।

2. गंगा दशहरा


- गंगा दशहरा का पर्व भी गंगा नदी के साथ जुड़ा हुआ है और गंगा के पृथ्वी पर अवतरण का उत्सव होता है।
- देव दिवाली के दिन, गंगा के तटों पर दीप जलाने की परंपरा गंगा अवतरण से संबंधित है। देव दिवाली में गंगा की पूजा और दीपदान के साथ साथ गंगा दशहरा की पूजा का महत्व भी होता है, क्योंकि गंगा को पवित्र नदी माना जाता है और इसका धार्मिक महत्व बहुत बड़ा है।
- गंगा दशहरा के दौरान भी गंगा में स्नान करने और पूजा करने से पापों का नाश और पुण्य की प्राप्ति की जाती है, जैसे कि देव दिवाली के दिन दीप जलाने से शुद्धि और आशीर्वाद की प्राप्ति होती है।

3. माघ मेला और कुम्भ मेला


- माघ मेला और कुम्भ मेला जैसे धार्मिक आयोजन भी देव दिवाली के समान आध्यात्मिक शुद्धि और मोक्ष की प्राप्ति के उद्देश्य से होते हैं।
- माघ मेला, विशेष रूप से इलाहाबाद (प्रयागराज) में हर वर्ष माघ मास में आयोजित किया जाता है, और यहाँ भी गंगा नदी में स्नान, पूजा, और दीप जलाने की परंपरा है। इन मेलों का मुख्य उद्देश्य धार्मिक उन्नति और आध्यात्मिक शुद्धि होता है।
- इन मेलों के आयोजन में देव दिवाली की तरह ही भक्तों की आस्था, श्रद्धा, और धर्म के प्रति समर्पण को बढ़ावा दिया जाता है। इस प्रकार, इन दोनों मेलों का देव दिवाली के साथ सांस्कृतिक और धार्मिक संबंध है।

4. शिवरात्रि


- महाशिवरात्रि और देव दिवाली दोनों में भगवान शिव का प्रमुख स्थान होता है। देव दिवाली, भगवान शिव की विजय और गंगा अवतरण का प्रतीक है, जबकि महाशिवरात्रि भगवान शिव की आराधना और तपस्या का पर्व है।
- महाशिवरात्रि के दौरान भी भक्त जागरण, मंदिरों में पूजा और दीप जलाने की परंपरा का पालन करते हैं, जैसे कि देव दिवाली के समय गंगा तट पर दीप जलाने की परंपरा है।
- दोनों पर्वों का उद्देश्य ध्यान और भक्ति के माध्यम से आध्यात्मिक उन्नति की प्राप्ति होता है।

5. अक्षय तृतीया


- अक्षय तृतीया का भी देव दिवाली से एक सांस्कृतिक संबंध है। अक्षय तृतीया एक विशेष अवसर होता है, जब अच्छे कर्मों और धार्मिक कार्यों को करने से विशेष पुण्य प्राप्ति होती है।
- अक्षय तृतीया में लोग धन की पूजा, नई वस्तुएं खरीदने और धार्मिक अनुष्ठान करने की परंपरा निभाते हैं। इसी तरह, देव दिवाली पर भी दीप जलाना और धार्मिक अनुष्ठान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है।
- दोनों पर्वों का उद्देश्य सकारात्मकता और धार्मिक उन्नति के रास्ते पर चलना है।

6. मकर संक्रांति


- मकर संक्रांति का पर्व भी भारतीय संस्कृति में धार्मिक शुद्धता और सकारात्मकता के प्रतीक रूप में मनाया जाता है। यह पर्व सूर्य के मकर राशि में प्रवेश को दर्शाता है, जो नए अवसरों और जीवन के नए सिरे से शुरुआत का प्रतीक है।
- देव दिवाली के दिन, दीप जलाकर लोग अंधकार से प्रकाश की ओर, और सकारात्मक ऊर्जा की प्राप्ति की कामना करते हैं, ठीक वैसे ही जैसे मकर संक्रांति के दिन नई ऊर्जा और समृद्धि की शुरुआत होती है।
पञ्चाङ्ग कैलेण्डर 03 Dec 2024 (उज्जैन)

आज का पञ्चाङ्ग

दिनांक: 2024-12-03
मास: मार्गशीर्ष
दिन: मंगलवार
पक्ष: शुक्ल पक्ष
तिथि: द्वितीया तिथि 01:09 PM तक उपरांत तृतीया
नक्षत्र: नक्षत्र मूल 04:41 PM तक उपरांत पूर्वाषाढ़ा
शुभ मुहूर्त: अभिजीत मुहूर्त - 11:50 AM – 12:31 PM
राहु काल: 2:45 PM – 4:02 PM
यमघंट: 9:36 AM – 10:53 AM
शक संवत: 1946, क्रोधी
विक्रम संवत: 2081, पिंगल
दिशाशूल: उत्तर
आज का व्रत त्यौहार: